अलवर: अलवर जिले के गांवों में बच्चों के इलाज की व्यवस्था बेहाल है। सीएचसी स्तर पर बच्चों के डॉक्टर मिलना ही मुश्किल है। पुराने अलवर जिले में 5 वर्ष तक के 5.41 लाख बच्चों के इलाज के लिए मात्र 28 डॉक्टर थे। इनमें से 12 डॉक्टर तो अलवर के शिशु अस्पताल में हैं। चिकित्सा व्यवस्थाओं की कमी के कारण 6 वर्ष में 5 वर्ष तक के 8728 बच्चों की मौत हुई है।
इनमें से 83.84 प्रतिशत यानी 7317 बच्चों ने गांवों में दम तोड़ा, जबकि शहरी क्षेत्र में 1411 बच्चों की मौत हुई। हालात ये हैं कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र के 53 सरकारी अस्पतालों में मात्र 19 में ही बच्चों के इलाज के लिए 28 डॉक्टर उपलब्ध रहे। इसी कारण अलवर के शिशु अस्पताल में बीमार बच्चों की संख्या अधिक रहती है, जहां अस्पताल में 12 डॉक्टर लगे हुए हैं।
वहीं, सेटेलाइट अस्पताल कालाकुआं में डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। इसी कारण बीमार बच्चों को नजदीकी अस्पताल में इलाज नहीं मिल पा रहा है। चिकित्सा विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 5 वर्ष तक के 19 प्रतिशत बच्चों की निमोनिया, 3 प्रतिशत की चोट लगने, 37 प्रतिशत नवजात, 8 प्रतितशत की मलेरिया, 4 प्रतिशत की खसरा, 17 प्रतिशत की डायरिया, 2 प्रतिशत की एचआईवी एड्स तथा 10 प्रतिशत बच्चों की अन्य कारणों से मौत हुई। जानिए, पांच वर्ष तक के बच्चों की मौत के आंकड़े वर्ष ग्रामीण शहरी 2017-18 1025 187 2018-19 1306 143 2019-20 1366 133 2020-21 1382 148 2021-22 1494