जयपुर: मोबाइल के 1996 में आगमन के साथ ही प्रदेश में आज तक करीब 6.34 करोड़ मोबाइल धारक हो गए। सबसे ज्यादा मोबाइल ग्राहकों की बढ़ोतरी इंटरनेट के साथ पिछले दस सालों में हुई। पिछले दस सालों में मोबाइल बिल में पांच सौ फीसदी तक कमी आई। जयपुर में 70 लाख मोबाइल धारक है। एक व्यक्ति दो या चार मोबाइल नम्बर रखता है। राजस्थान में आठ लाख 24 हजार 536 टेलिफोन(लैण्डलाइन) धारक है।
सबसे पहले 1850 में कोलकाता में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इलेक्ट्रिक टेलिग्राफ सुविधा शुरू की थी। 1854 में यह सुविधा आमजन के लिए शुरू हुई। इसके लिए अलग से विभाग का गठन किया गया। आगरा, मुंबई, चेन्नई और बेंगलूरू में यह सुविधा शुरू हुई। 1880 में दो टेलिफोन कंपनियां आई। ओरियंटल टेलिफोन कंपनी और एंग्लो इंडियन टेलिफोन कंपनी। फिर 1881 में कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद में औपचारिक शुरुआत हुई।
1994 में हुआ आमजन के लिए संचार क्रांति धमाका: देशभर में अब कहीं पर भी किसी भी जगह से मोबाइल फोन के जरिए बात करने की सुविधा 1994 से शुरू हुई। करीब 45 हजार रुपए का मोबाइल हैण्डसेट और 17 रुपए प्रति मिनट की आउटगोइंग और इनकमिंग कॉल के शुल्क के साथ सुविधा शुरू हुई। उस समय मोबाइल होना बड़ा स्टेटस सिम्बल माना जाता था।
1996 में राजस्थान में मोबाइल आया: मरुप्रदेश में पेजर के बाद 1996 में मोबाइल का आगमन हुआ था, जो राजस्थान के कुछ जिलों में शुरुआत हुई थी। सिर्फ दो कंपनियों से शुरुआत हुई थी। आज बीएसएनएल, जियो, वोडाफोन और एयरटेल मोबाइल आपरेटर कंपनियां है।
जीवन जीने का अभिन्न साधन बना मोबाइल: अब सिर्फ बात करने का साधन नहीं, भुगतान करने, बुकिंग करवाने, स्टडी करने और मनोरंजन के अन्य सुविधाओं का उपयोग जरिए इंटरनेट किया जाता है।
ये हैं दूरसंचार दिवस का इतिहास: विश्व दूरसंचार दिवस, अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की स्थापना और 1865 में पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ सम्मेलन पर हस्ताक्षर करने की याद दिलाता है। यह 17 मई को हर साल मनाया जाता है।