46 प्रतिशत पाठक बोले शरारत पर सख्ती जरूरी, ऐसी सजा देना गलत जानिए पूरा मामला

राजस्थान में बच्चों के साथ मामूली बातों पर मारपीट व टॉर्चर करने की घटनाएं इन दिनों बढ़ रही है। जयपुर के मुरलीपुरा में एक दिन पहले बच्चों की शैतानी करने पर मां-बाप ने मारपीट कर कमरे में जंजीरों से बांध कर ताला लगा दिया था।

Update: 2021-10-25 16:02 GMT

जनता से रिस्ता वेबडेसक | राजस्थान में बच्चों के साथ मामूली बातों पर मारपीट व टॉर्चर करने की घटनाएं इन दिनों बढ़ रही है। जयपुर के मुरलीपुरा में एक दिन पहले बच्चों की शैतानी करने पर मां-बाप ने मारपीट कर कमरे में जंजीरों से बांध कर ताला लगा दिया था।खुद काम पर चले गए। शाम तक बच्चे भूख-प्यास से तड़पते रहे। दर्द से कराहते रहे। आखिर यह कहां तक जायज है। क्या शरारत करने पर बच्चों को ऐसी सजा देना सही है। बच्चों के साथ ऐसा मामला सामने आने पर दैनिक भास्कर ने पाठकों से सर्वे करवाकर पोल कराया।

पोल में पाठकों की राय में सामने आया है कि 46 प्रतिशत पाठकों का कहना है कि बच्चों के शरारत करने पर सख्त होना जरूरी है, लेकिन ऐसी सजा देना गलत है। 29 प्रतिशत पाठकों का कहना है कि शरारत करना तो बच्चों का स्वभाव होता है, माता पिता को इस बात को समझना चाहिए। वहीं, 13 प्रतिशत पाठकों का कहना है कि ऐसी सजा देने पर माता-पिता को सजा मिलनी चाहिए। इसके अलावा 12 प्रतिशत पाठकों का कहना है कि ऐसे माता-पिता की काउंसलिंग करानी चाहिए।

एक्सपर्ट व्यू : बच्चों पर पिटाई से काफी बुरा असर पड़ता है

सीडब्ल्यूसी मेंबर विजय शर्मा का कहना है कि बच्चों पर पिटाई से काफी बुरा असर पड़ता है। शरीर पर चोट के निशान तो मिट जाते है लेकिन उनके मन पर गहरे जख्म पड़ते है। जोकि समय के साथ बढ़ते चले जाते है। बच्चे तनाव में आकर गुमशुम रहने लगते है। बच्चे खुद के ही घर में घबराने लगते है। कई बार बच्चे चिढ़चिढ़े हो जाते है। उनका स्वभाव गुस्सैल हो जाता है।

क्या था पूरा मामला 

मुरलीपुरा में 6 साल और 10 साल के बच्चे काे मां-बाप शरारत करने पर लोहे की जंजीरों से बांध कर कमरे में उल्टा लटका गए। उन्हें मारा-पीटा। फिर वे काम पर चले गए। बच्चे दिनभर कमरे में उल्टे लटके रहे। चीखें सुनकर पड़ोस के लोग आए। चाइल्ड लाइन की एनजीओ भी पहुंची। हैरानी की बात है कि ताला लगाकर वे चाबी भी साथ में ले गए थे। उन्होंने बड़ी मुश्किल से बच्चों काे मुक्त कराया। बच्चे भी मां-बाप से डर रहे थे। दर्द से कराह रहे थे।

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