हल्दीघाटी युद्ध की 447 वी जयंती मनाई

Update: 2023-06-18 16:25 GMT

उदयपुर। हल्दीघाटी युद्ध की 447वीं जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को राजस्थानी विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय और राजस्थानी रा हेताळू, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश सालवी ने कार्यक्रम में पधारे सभी महानुभावों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आई.वी. त्रिवेदी, कुलपति मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि प्रो. सी.आर. सुथार अधिष्ठाता कला महाविद्यालय, भेराराम चौधरी कमिश्नर आयकर विभाग उदयपुर, मुख्य अतिथि डॉ. देव कोठारी पूर्व अध्यक्ष राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ने की। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने राजस्थानी भाषा और इसकी महत्ता को उजागर करते हुए आज के समय में इसे बोलचाल की भाषा बनाने की बात बताई जिससे मान्यता की राह आसान हो सके।

विशिष्ट अतिथि प्रो. सी.आर. सुथार ने भाषा की मान्यता और हल्दीघाटी युद्ध व महाराणा प्रताप की वीरता के बारे में बताया। उदयपुर के आयकर आयुक्त भेराराम चौधरी ने राजस्थानी भाषा से जुड़े एक प्रसंग को सुनाते हुए राजस्थानी भाषा में हो रहे लेखन के बारे में बात बताई। मुख्य अतिथि डॉ. देव कोठारी ने हल्दीघाटी युद्ध के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए महाराणा प्रताप की इसमें हुई विजय के बारे में बताया। इसके पश्चात कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान के ख्यातनाम कवि डॉ आईदान सिंह भाटी जोधपुर, श्रेणीदान चारण उदयपुर, सोहनलाल चौधरी चित्तौड़गढ़, हिम्मत सिंह उज्जवल भारौडि एवं नरेंद्र सिंह रावल राजसमंद ने हल्दीघाटी युद्ध महाराणा प्रताप,चेतक से जुड़े काव्य पाठ किए। इसके पश्चात राजेंद्र राजपुरोहित की आयकर पर आधारित राजस्थानी भाषा मे पहली पुस्तक "आवकलाग अर लागदेणार" का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के अंत में विभांगी आमेटा, किरण लौहार, लूना और लवीना प्रजापत द्वारा नृत्य प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर लोकेश राठौड़ ने किया। अंत मे राजेंद्र ने महाराणा प्रताप के वीरता त्याग एवं देश भक्ति से अवगत कराते हुए पधारें सभी अतिथियो का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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