सालाना 30 हजार कंटेनर स्टोन का होता था निर्यात, 75% मजदूर बेरोजगारी की कगार पर
कोटा न्यूज: हाड़ौती के सैंड स्टोन का एक्सपोर्ट सालभर में घट गया है। पूरा उद्योग संकट में है। पत्थर निर्यात करने वाली सभी 682 इकाइयां संकट से जूझ रही हैं। पहले कुल उत्पादन का 70 फीसदी तक निर्यात होता था। निर्यात ठप हाेने का सीधा असर खनन पर पड़ रहा है। खनन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में सैंड स्टोन का उत्पादन 21 लाख टन प्रतिवर्ष था, जो 2022 में मात्र 10 लाख टन रह गया। इतनी गिरावट पहली बार देखी गई है। वहीं, 2023 में खनन घटकर करीब 30 हजार टन (प्रति माह) रह गया है। ऐसे में 300 से ज्यादा इकाइयां बुरी तरह घाटे में हैं।
ये सिर्फ इसलिए चलाई जा रही हैं, ताकि इन्हें सरकार बंद नहीं कर दें। एक्सपर्ट्स के अनुसार निर्यात बंद होने का कारण यूरोपीय देशों की क्रय शक्ति कम होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय देशों में मंदी छा रही है। यूरोपीय देशों में सैंड स्टोन की मांग है लेकिन युद्ध खत्म हाे जाए ताे भी करीब 6 माह बाद तक इस काराेबार के उबरने की उम्मीद नहीं है। हालांकि रामगंजमंडी से निकलने वाला पत्थर, जो कोटा स्टोन के नाम से पहचाना जाता हंै, उसका बाजार युद्ध से प्रभावित नहीं है।