रक्षा निर्यात में 23 गुना हुई वृद्धि ‘स्वदेशी उत्पादों’ की हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी

Update: 2023-05-31 12:49 GMT

जयपुर । रक्षा क्षेत्र में केंद्र सरकार की निरंतर नीतिगत पहलों के माध्यम से भारत का रक्षा निर्यात अब तक के शीर्ष स्तर पर पहुँच गया है। वित्त वर्ष 2013-14 में रक्षा क्षेत्र में 686 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। जबकि पिछले 9 वर्षों के भीतर 23 गुणा की वृद्धि के साथ रक्षा निर्यात का आंकड़ा 16,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि वैश्विक रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाती है। भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। वर्तमान में भारतीय रक्षा उद्योग ने रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है।

भारत सरकार ने पिछले 9 वर्षों में रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कईं महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जैसे कि पूरी तरह से ऑनलाइन निर्यात की व्यवस्था के साथ निर्यात प्रक्रियाओं को सरल, सुगम व उद्योगों के अनुकूल बनाया है। परिणामस्वरूप भारत आज निर्बाध रूप से रक्षा क्षेत्र में व्यापार कर रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ ने देश में रक्षा उपकरणों के डिजाइन, विकास और निर्माण को गति प्रदान करने में अहम् भूमिका निभाई है। अब देश में रक्षा उत्पादों का आयात भी घटने लगा है। वर्ष 2018-19 में विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर होने वाला कुल व्यय 46% से घटकर दिसंबर 2022 में 36.7% पहुँच गया है।

कुछ वर्षों पहले तक ‘रक्षा उपकरण आयातक’ देश के रूप में जानने वाला भारत अब विश्व में डोर्नियर -228, आर्टिलरी गन , ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, रडार, सिमुलेटर, बख्तरबंद वाहन आदि का निर्यात करता है। यही नहीं भारत के स्वदेशी उत्पादों जैसे कि एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर सहित रक्षा उपकरणों के रखरखाव- मरम्मत सेवाओं (एमआरओ गतिविधियों) की वैश्विक स्तर पर तेज़ी से मांग बढ़ रही है।

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