नागौर। नागौर जिले सहित प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों में प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिले में कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय के अंतर्गत कुल 28 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें दो कृषि कॉलेज और दो लॉ कॉलेज हैं। . राज्य सरकार ने पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल में नागौर जिले में 12 महाविद्यालय खोले हैं, जिनमें से दो कृषि महाविद्यालय और एक विधि महाविद्यालय है, जबकि चार कन्या महाविद्यालय हैं। इन 12 कॉलेजों में सरकार ने प्राचार्य समेत 126 शैक्षणिक पद भी स्वीकृत किये हैं, लेकिन नियुक्ति सिर्फ 4 पर ही हो पायी है. जिनमें से 3 कुचामन के गर्ल्स कॉलेज और एक नावां के कृषि कॉलेज में लगाया गया है. बाकी 122 पद खाली हैं यानी 10 कॉलेज ऐसे हैं जिनमें एक भी सरकारी प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है.
गौरतलब है कि वर्ष 2018 तक जिले में सरकारी कॉलेजों की संख्या केवल 9 थी, इसके बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में परबतसर और नावां में दो कॉलेज खोले. वर्ष 2020 में मकराना में एक और वर्ष 2021 में डीडवाना, लाडनूं व मेड़ता में तीन-तीन कन्या महाविद्यालय तथा कुचेरा में एक राजकीय महाविद्यालय एक साथ खोला गया। इसके बाद वर्ष 2022 में खींवसर, पांचला सिद्ध एवं कुचामन सिटी में तीन कन्या महाविद्यालय खोले गये। जबकि डीडवाना एवं नावां में कृषि महाविद्यालय खोले गये। इस साल यहां खुलेंगे कॉलेज: चुनावों को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में लूणवा, रियांबड़ी, खजवाना, कुचामन सिटी और हाल ही में छोटी खाटू के साथ डेगाना में कन्या कॉलेज और नावां में लॉ कॉलेज खोले हैं.
बड़ा सवाल यह है कि पिछले चार साल में खुले कॉलेजों में प्रोफेसरों के पद रिक्त होने के कारण प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को कौन पढ़ाएगा। दरअसल, कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय की ओर से ऐसे कॉलेजों में विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी के तौर पर शिक्षकों से काम लिया जा रहा है. पिछले दो साल से विद्या संबल के तहत भर्ती शिक्षक ही नए कॉलेज का संचालन कर रहे हैं। राज्य सरकार ने पिछले तीन-चार वर्षों में कई कॉलेज खोले हैं, जिससे छात्रों को कम लागत पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार ने बजट से लेकर जमीन आवंटन में काफी तेजी दिखाई है, जो एक अच्छा संकेत है, लेकिन इसके साथ ही सरकार को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा. कॉलेज तो खुल गए, लेकिन प्रोफेसर ही नहीं होंगे तो पढ़ाएगा कौन। इसी प्रकार गांवों में खुले महाविद्यालयों में विज्ञान संकाय नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को कला संकाय के साथ-साथ विज्ञान संकाय भी खोलना चाहिए।