फार्मेसी काउंसिल दफ्तर में विजिलेंस का छापा, साढ़े नौ घंटे कर्मचारियों से पूछताछ

Update: 2022-07-06 09:24 GMT

चंडीगढ़ न्यूज़: विजिलेंस जांच से काउंसिल के कई और कर्मचारी भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। आरोप है कि प्रधानधनेश अदलखा और उप प्रधान सोहनलाल कंसल ने अपने खास जानकारों को कार्यालयों में रखा हुआ था। काउंसिल में पूरा काम इन्हीं विश्वसनीय कर्मचारियों को दिया जाता था।हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस टीम ने मंगलवार को पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित काउंसिल के कार्यालय में छापा मारा। छापे के दौरान न तो किसी को बाहर से अंदर आने दिया गया और न ही बाहर जाने दिया गया। सभी कर्मचारियों के फोन बंद करा दिए गए। करीब साढे़ नौ घंटे तक टीम ने कार्यालय की फाइलें और दस्तावेज खंगाले और कर्मचारियों से पूछताछ की।रात करीब साढ़े आठ बजे टीम रिकॉर्ड जब्त कर अपने साथ ले गई। अब इस रिकॉर्ड की जांच के बाद भ्रष्टाचार की और परतें खुल सकती हैं। कई और कर्मचारियों पर जांच की तलवार लटक गई है। सुबह 11 बजे हिसार से विजिलेंस की टीम काउंसिल कार्यालय पहुंची। डीएसपी गौरव के नेतृत्व में आई टीम ने हर कर्मचारी से अलग-अलग पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए। टीम ने सबसे पहले पंजीकरण की फाइलों को खंगाला।

इसके बाद इन फाइलों को डील करने वाले कर्मचारियों से सवाल- जवाब किए। विजिलेंस ने फार्मेसी काउंसिल के प्रधान धनेश अदलखा, उप प्रधान कंसल और रजिस्ट्रार की कार्यप्रणाली के बारे में भी कर्मचारियों से सवाल किए थे। यह भी जानकारी हासिल की है कि किसके कहने के बाद पंजीकरण सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे। रात 8:30 बजे विजिलेंस टीम पंजीकरण से संबंधित रिकॉर्ड अपने साथ ले गई है। इस रिकॉर्ड की जांच के बाद गलत तरीके से किए गए पंजीकरण का भी खुलासा हो सकता है।खास तीन कर्मचारियों के हवाले थी काउंसिलविजिलेंस जांच से काउंसिल के कई और कर्मचारी भी संदेह के घेरे में आ गए हैं। आरोप है कि प्रधानधनेश अदलखा और उप प्रधान सोहनलाल कंसल ने अपने खास जानकारों को कार्यालयों में रखा हुआ था। काउंसिल में पूरा काम इन्हीं विश्वसनीय कर्मचारियों को दिया जाता था। पत्राचार से लेकर पंजीकरण तक का काम इन तीन कर्मचारियों के पास था। इनमें से एक कर्मचारी कंसल की रिश्तेदार है तो दूसरे को रिटायरमेंट के बाद रखा गया है। इसके अलावा, एक महिला को भी प्राइवेट तौर पर काउंसिल में रखा गया था। ये कर्मचारी ही सारे दस्तावेज तीनों अधिकारियों को व्हाट्सएप करते थे। सूत्र बताते हैं कि विजिलेंस सीसीटीवी फुटेज के साथ साथ कुछ कर्मचारियों की कॉल डिटेल खंगाल रही है। साथ ही कंसल के मोबाइल पर भेजे गए व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से भी जांच आगे बढ़ाई जा रही है।

पहले डील, फिर निपटाते थे फाइलविजिलेंस जांच में सामने आया है कि पंजीकरण के लिए पहले दलालों या फिर आवेदनकर्ता से डील की जाती थी, इसके बाद ही फाइल पर हस्ताक्षर होते थे। सप्ताह में एक दिन आकर फाइलों को निपटाया जाता था। आरोप है कि बिना सोहनलाल कंसल के हस्ताक्षर के फाइल नहीं निकलती थी। पैसे आने के बाद ही पंजीकरण सर्टिफिकेट जारी किया जाता था। अब विजिलेंस उन अभ्यर्थियों से पूछताछ की कोशिश करेगी, जिनसे पैसे लेकर सर्टिफिकेट दिए गए। विजिलेंस प्रधान अदलखा, रजिस्ट्रार वर्मा की तलाश में जुटी हुई है।अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और रजिस्ट्रार को बर्खास्त करने की मांग काउंसिल के पूर्व प्रधान केसी गोयल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि घोटाले की जांच को अध्यक्ष धनेश अदलखा प्रभावित कर रहे हैं। वह मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के नाम का दुरुपयोग कर अधिकारियों को धमकाते हैं।गोयल ने प्रधान अदलखा, उप प्रधान सोहनलाल कांसल और रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। साथ ही सरकार से फार्मेसी काउंसिल कार्यालय को कब्जे में लेने की भी मांग की है। आईएएस स्तर के किसी अधिकारी को इसकी देखरेख दी जानी चाहिए, जिसका फार्मेसी काउंसिल से कोई लेना-देना ना हो।

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