आंकड़ों में समझिए-कैसे पंजाब को जकड़ रहा कैंसर, पंजाब को संजीवनी दे गए मोदी

Update: 2022-08-24 11:45 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

पंजाब में सिर्फ मालवा ही नहीं बल्कि दोआबा व माझा भी कैंसर की चपेट में हैं। पहले माझा और दोआबा में कैंसर रोगियों की संख्या नाममात्र होती थी, वहीं अब एक लाख के पीछे करीब 60 मरीज मिल रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को न्यू चंडीगढ़ में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का लोकार्पण किया। इस अस्पताल से पंजाब को एक तरह की संजीवनी मिल गई है। पंजाब में सिर्फ मालवा ही नहीं बल्कि दोआबा व माझा भी कैंसर की चपेट में हैं। पहले माझा और दोआबा में कैंसर रोगियों की संख्या नाममात्र होती थी, वहीं अब एक लाख के पीछे करीब 60 मरीज मिल रहे हैं।

दोआबा में चिट्टी बेई और कीटनाशक बने कारण

दोआबा में इसका मुख्य कारण चिट्टी बेई है, जिसके आसपास बसे 30 गांव बुरी तरह कैंसर की चपेट में हैं। बाकी इलाकों में कीटनाशक के कारण कैंसर फैल रहा है। माझा के तरनतारन से लेकर अमृतसर व गुरदासपुर इलाकों में भी कैंसर की जड़ें तेजी से फैलती जा रही हैं।

जालंधर के चिकित्सक डॉ. धीरज भाटिया का कहना है कि पहले कैंसर मालवा में था। दोआबा से मरीज कम आते थे लेकिन अब काफी मरीजों में कैंसर पाया जा रहा है। दोआबा क्षेत्र भी अब कैंसर की जकड़ में आ गया है। इसलिए हर कोई इस रोग के बारे में जागरूक रहे।

दोआबा और माझा में मालवा से आधे मरीज

डॉ. धीरज का कहना है कि मालवा में जहां एक लाख के पीछे 107 मरीज हैं वहीं दोआबा और माझा में यह आंकड़ा करीब 60 का है। यानी मालवा से आधे मरीज दोआबा व माझा में पाए जा रहे हैं। अमृतसर में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है और दो साल पहले 954 मामले अमृतसर में आए। दूसरे नंबर पर संगरूर में 810, तीसरे पर लुधियाना में 716, चौथे पर पटियाला में 667 और 5वें पर गुरदासपुर में 525 मरीज सामने आए थे, जिसने सबको चौंका दिया था।

सीमावर्ती इलाकों में कैंसर बढ़ने से चिकित्सक भी हैरान हैं। प्रसिद्ध चिकित्सक एचजे सिंह का कहना है कि अमृतसर में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। असल में सीमावर्ती गांवों में खेतीबाड़ी के अलावा कोई कामधंधा नहीं है। खेती में तेजी से कीटनाशक व खाद डाली जा रही है, जो कैंसर के लिए जिम्मेदार है।

राज्यसभा सदस्य व पर्यावरण प्रेमी संत बलवीर सिंह सीचेवाल ने कुछ समय पहले चिट्टी बेई के आसपास बसे इलाकों का जमीनी दौरा व अध्ययन कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी कि बेई ही कैंसर का कारण है, जिसका पानी मालवा की तरफ व राजस्थान जा रहा है। उन्होंने गांवों की जमीनी हकीकत में बताया कि कई गांवों में नस्ल खत्म होती जा रही है, लोग कैंसर की चपेट में हैं।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं होशियार

ऐसा जख्म जो ठीक न हो।

शरीर के किसी भाग से रक्त का निकलना।

पाखाने या पेशाब में परिवर्तन।

स्त्रियों की छाती या अन्य किसी भाग में गांठ का होना।

गले में निगलने में दिक्कत का होना।

शरीर में किसी तिल या वार्ट के स्वरूप में परिवर्तन आना।

शरीर में बिना कारण खून की कमी, बुखार या थकावट का रहना।

शरीर के भार का अचानक कम होना।

नकसीर का फूटना, मुंह से खून आना आदि

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