पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पॉक्सो एक्ट में आरोपी का पीड़ित या उसके परिजनों से समझौता मान्य नहीं

बच्चों से यौन अपराध को लेकर बेहद अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पॉक्सो एक्ट में आरोपी का पीड़ित या उसके परिजनों से समझौता मान्य नहीं है।

Update: 2022-05-24 08:28 GMT

बच्चों से यौन अपराध को लेकर बेहद अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पॉक्सो एक्ट में आरोपी का पीड़ित या उसके परिजनों से समझौता मान्य नहीं है। ऐसे में इस समझौते के आधार पर एफआईआर रद्द करने की अपील को लेकर दाखिल याचिका हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दी।

सुरिंदर कुमार के खिलाफ 2021 में एक नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि उसका पीड़ित पक्ष के साथ समझौता हो गया है, ऐसे में उसके खिलाफ दर्ज इस एफआईआर को रद्द किए जाए। जस्टिस पंकज जैन ने याचिका को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत पीड़िता और उसके परिजनों से समझौता होने पर एफआईआर को रद्द करना इस एक्ट की मूल भावना को आहत करने जैसा होगा।
जस्टिस जैन ने कहा कि इस एक्ट को बनाने के पीछे यही उद्देश्य था कि मासूम बच्चों को स्वस्थ माहौल दिया जा सके और उन्हें किसी भी किस्म के उत्पीड़न से बचाया जा सके। मासूम बच्चों को उनके अधिकार मिले, सुनिश्चित किया जाए की उनका यौन या अन्य तरह से शोषण न हो, शोषण के दोषी को कड़ी सजा मिल सके।
इसके साथ ही जस्टिस जैन ने कहा है कि इस एक्ट में आरोपी कैसे समझौता कर सकता है, क्योंकि पीड़ित नाबालिग है और वह समझौता नहीं कर सकती। उसके परिजनों को उसकी तरफ से कोई समझौता करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में यह समझौता अवैध होगा। लिहाजा हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को आधारहीन करार देकर इसे खारिज कर दिया। साथ ही ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि इस मामले का छह महीने में निपटारा करे।


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