आयुक्त अनजान निगम की गाड़ियों में नाम का जीपीएस, निजी कार्यों में हो रहा इस्तेमाल
परिवहन विभाग ने बताया कि जीपीएस का अनुबंध रिन्यू नहीं कराने की वजह से बंद पड़े हैं। निगम अधिकारियों को चालकों और वाहनों के इस्तेमाल का कुछ पता नहीं चल पा रहा था, जबकि लॉगबुक में बिल पूरा आ रहा है।
चंडीगढ़ नगर निगम ने साल 2021 में आयुक्त दफ्तर से अटैच गाड़ियों में जीपीएस लगवाया था। इसके लिए नगर निगम ने एक निजी कंपनी से अनुबंध किया था। एक साल बाद जून 2022 में अनुबंध रिन्यू नहीं कराने पर जीपीएस ने काम करना बंद कर दिया। अब कर्मचारी गाड़ियों को निजी कार्यों में इस्तेमाल कर रहे हैं। नियमानुसार गाड़ियां स्टोर या नगर निगम में रखी जानी हैं, लेकिन कर्मचारी अपने घर ले जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस संबंध में आयुक्त को जानकारी ही नहीं है। बता दें कि गाड़ियों की निगरानी के लिए पिछले साल 300 गाड़ियों में जीपीएस लगवाया था ताकि प्रतिदिन गाड़ियों के चलने की स्थिति की सही जानकारी मिल सके।
गाड़ियां कितनी चलीं और कहां गईं ब्योरा नहीं, बिल पूरा आ रहा
एक शिकायत के बाद कुछ दिन पहले विभाग में गाड़ियों से संबंधित जानकारी मांगी गई कि कौन सा चालक किस गाड़ी पर जाता है और कितना काम करता है। इस संबंध में जानकारी मिली कि जो जीपीएस पिछले साल लगे थे, वह काम नहीं कर रहे। इसके बाद परिवहन विभाग ने बताया कि जीपीएस का अनुबंध रिन्यू नहीं कराने की वजह से बंद पड़े हैं। निगम अधिकारियों को चालकों और वाहनों के इस्तेमाल का कुछ पता नहीं चल पा रहा था, जबकि लॉगबुक में बिल पूरा आ रहा है।
पत्र लिखकर बताया-खराब थी सर्विस, तेल की मॉनीटरिंग भी सीमित
परिवहन विभाग ने अधिकारियों को बताया कि कंपनी की सर्विस ठीक नहीं थी। इस संबंध में कई बार कंपनी को पत्र भी लिखा गया, लेकिन सर्विस में सुधार नहीं हुआ। तब जाकर कंपनी से फिर से सेवाएं लेने से इनकार किया गया। वहीं गाड़ियों में पेट्रोल व डीजल की मॉनीटरिंग के लिए जीपीएस लगाया गया है। इसमें टैंक में कितना तेल डला यह तो जानकारी मिल जाती है, लेकिन वह खर्च कितनी गाड़ी चलने पर हुआ, इसका ब्योरा नहीं मिलता है।
कई बार पानी के टैंकर निजी कार्यों में प्रयोग होने की आई है शिकायत
पानी के टैंकरों को लेकर सबसे ज्यादा लोगों की शिकायतें आती हैं। लोगों ने शिकायत देकर कई बार कहा है कि अफसरों से सिफारिश लगवाकर लोग निजी कार्यों में पानी के टैंकरों का उपयोग करते हैं। जीपीएस न होने से टैंकर कब और कहां गया इसकी जानकारी नहीं होती है।
600 गाड़ियों की हो रही मॉनीटरिंग, हो रहा सुधार
डोर-टु-डोर कचरा लेने वाली 600 गाड़ियों में जीपीएस काम कर रहा है। स्काडा सिस्टम से इसकी प्रतिदिन मॉनीटरिंग हो रही है। आयुक्त ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया था कि एक समय 1200 गाड़ियां कूड़ा लेने पहुंचीं नहीं या देरी से पहुंचीं। व्यवस्था सख्त की तो यह आंकड़ा घटकर काफी नीचे आ गया है और ज्यादातर गाड़ियां समय से अपने क्षेत्र में पहुंच रही हैं।
आयुक्त दफ्तर की गाड़ियों में जीपीएस लगवाने की जानकारी मुझे नहीं है। इसकी समय सीमा खत्म हो गई यह भी मुझे नहीं बताया गया है। मामले की जांच करवाएंगे।