स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह द्वारा स्वास्थ्य अधिकारियों को सभी प्रसव अस्पतालों में होने को सुनिश्चित बनाने के निर्देश

Update: 2023-05-26 02:45 GMT
चंडीगढ़। राज्य में प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु अनुपात (एम.एम.आर.) घटाने के उद्देश्य से पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज घरेलू प्रसव के विरुद्ध सख़्त हिदायतें जारी की हैं, क्योंकि उचित डॉक्टरी सुविधाओं की कमी के कारण ऐसे प्रसव अक्सर माँ या बच्चे की मौत का कारण बनते हैं।
बलबीर सिंह ने कहा कि 2030 तक प्रति लाख 70 लाइव बर्थ के सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के मामले में राज्य को अग्रणी बनाने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं का जल्दी पता लगाने और इसके बाद दिशा-निर्देशों के मुताबिक निर्धारित डॉक्टरी जांच को सुनिश्चित बनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गर्भवती औरतों के साथ सहानुभूति और सम्मान से पेश आया जाये।
सुरक्षित मातृत्व आश्वासन ( सुमन) कार्यक्रम के बारे में विस्तार में बताते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती औरतों को असली मायने में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इन सेवाओं में प्रसव के लिए गर्भवती औरत को लेजाने और छोडऩे के लिए एंबुलेंस की सुविधा, बच्चे के जन्म से पहले कम से कम चार बार जांच की सुविधा, प्रसव सम्बन्धी मुफ़्त सेवाएं आदि शामिल हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत 104 कॉल सैंटर के द्वारा समयबद्ध शिकायत निवारण विधि भी स्थापित की गई है। स्वास्थ्य मंत्री के दिशा-निर्देशों पर आज यहाँ स्वास्थ्य विभाग के दफ़्तर में मातृ की सेहत से सम्बन्धित अलग- अलग मुद्दों पर एक राज्य स्तरीय ओरिएंटेशन और समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जि़ला परिवार कल्याण अधिकारी और जि़ला प्रोग्राम मैनेजर भी उपस्थित हुए।
बैठक की अध्यक्षता डायरैक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आदर्शपाल कौर, डायरैक्टर स्वास्थ्य सेवाएं ( परिवार कल्याण) डॉ. रविन्दरपाल कौर और डायरैक्टर एन.एच.एम डॉ. एस.पी. सिंह ने की। बैठक के दौरान डिप्टी डायरैक्टर डॉ. विजय कुमार, सहायक डायरैक्टर डॉ. विनीत नागपाल और स्टेट प्रोग्राम अफ़सर (एम.सी.एच.) डॉ. इन्दरदीप कौर ने मुख्य भाषण दिया। अपने संबोधन में डॉ. आदर्शपाल कौर ने स्वास्थ्य अधिकारियों को कहा कि वह उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं के अलग-अलग कारणों पर ध्यान दें, जिनमें से अनीमिया एक चिंता का मुख्य कारण है जिसको पहल के आधार पर हल करने की ज़रूरत है। उन्होंने प्रसव के समय मातृ की मौत दर घटाने के लिए आशा और ए.एन.एम. समेत सभी को मिलकर काम करने के लिए कहा। उन्होंने मीडिया और आई.ई.सी. गतिविधियों की मज़बूती पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने जच्चा-बच्चा की देखभाल के क्षेत्र में अलग-अलग स्वास्थ्य सुधार उपायों को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिसमें पंजाब में 34 समर्पित जच्चा-बच्चा अस्पतालों को कार्यशील करना, अनीमिया मुक्त भारत (ए.एम.बी.), सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन), लेबर रूम गुणवत्ता सुधार पहल (लक्ष्य), प्रधान मंत्री मातृ वन्दना योजना (पी.एम.एम.वी.वाई.), जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके), जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई), प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) शामिल हैं।
डॉ. रविन्दरपाल कौर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस समीक्षा बैठक में प्राप्त संदेशों या हिदायतों को ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे स्टाफ तक पहुँचाया जाये, जिससे मातृ की सेहत सम्बन्धी अलग-अलग प्रोग्रामों को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके। बैठक के दौरान अपने अपने तजुर्बे साझे करने के लिए बातचीत सत्र भी करवाया गया।
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