जेएंडके से ज्यादा होने लगी तस्करी, पाकिस्तान से सटी पंजाब की सीमा बनी सॉफ्ट टारगेट

Update: 2022-08-07 11:09 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

पाकिस्तान से सटी सीमा पर दो मुख्य दरिया पड़ते हैं, जिनके कारण बीएसएफ को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। मानसून में दोनों दरिया में पानी का बहाव अधिक हो जाता है, जिससे कंटीली तार पानी में बह जाती है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने हेरोइन व हथियारों की तस्करी के लिए पंजाब से सटी 553 किलोमीटर की सीमा को सॉफ्ट टारगेट बना लिया है। पंजाब के चार संवेदनशील जिलों के करीब 30 प्वाइंट्स संवेदनशील हैं जबकि 14 अतिसंवेदनशील हैं। भारत पाक सीमा पर दिक्कत यह भी है कि काफी इलाका में दरिया बहता है जो पाक में घूमकर वापस आता है, जिससे वहां पर कंटीली तार लगाना मुमकिन नहीं है। पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन से हथियारों की तस्करी में अचानक बढ़ोतरी हो गई है।

ब्यास व रावी दरिया

पाकिस्तान से सटी सीमा पर दो मुख्य दरिया पड़ते हैं, जिनके कारण बीएसएफ को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। मानसून में दोनों दरिया में पानी का बहाव अधिक हो जाता है, जिससे कंटीली तार पानी में बह जाती है। जेेएंडके से उज्ज दरिया रावी में आकर मिलता है, जो पठानकोट से शुरू होकर अमृतसर तक जाता है और इस बीच में पाकिस्तान में भी रावी घूमकर वापस आता है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर रावी नदी की बदलती धारा देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो रही है। पठानकोट, गुरदासपुर, डेरा बाबा नानक, अमृतसर के अजनाला और रमदास के साथ-साथ तरनतारन और फिरोजपुर के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहले भी कई बार तारबंदी रावी नदी में बह गई थी, जिसका फायदा तस्कर उठाते रहे हैं। अब जम्मू-कश्मीर के उज्ज नदी से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया और लगातार बरसात होती रही तो रावी नदी में जलस्तर और बढ़ जाएगा, जो कि सुरक्षा के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय सीमा के इलाकों पर एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है। अभी तक की जानकारी के अनुसार सभी विभागों को अलर्ट पर रखा गया है और अगर बाढ़ आती है तो तुरंत सुरक्षा बलों के साथ-साथ सभी विभागों के अधिकारी भी एक्शन मोड पर रहें यह निर्देश दिए गए हैं।

70 किलोमीटर में से 15 किमी के क्षेत्र में सात जगहों पर रावी दरिया पाकिस्तान व भारत में प्रवेश होता है। तस्कर इसी दरिया से हेरोइन भेजते हैं। मकौड़ा, आदियां, चंदू वडाला, रोसा, मोमनपुर, नंगली घाट व धर्मकोट बांगर संवेदनशील प्वाइंट हैं। हालांकि सीमा सुरक्षा बल पूरी चौकसी बरत रहा है लेकिन जलस्तर बढ़ने और मूसलाधार बारिश से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सतलुज दरिया करीब 160 किलोमीटर पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, जो हरिके पत्तन से शुरू होकर फाजिल्का तक जाता है। इस दौरान दरिया सात बार पाकिस्तान में जाता है और वापस आता है। दरिया में पानी के बहाव के साथ ही हथियारों व हेरोइन की खेप भारत में भेजी जाती है। पिछले साल ही पाक तस्करों ने दो प्लास्टिक की बोतलों में हेरोइन भरकर भारत में प्रवेश कर रहे सतलुज दरिया के रास्ते जलकुंभी के ऊपर रखकर भेजी थी। यह घटना फिरोजपुर सेक्टर बीएसएफ स्थित बीओपी मोहम्मदी वाला के पास घटी थी। सतलुज दरिया सात बार पाकिस्तान में होकर वापस आता है और करीब 160 किलोमीटर की लंबाई होने के कारण सीमा सुरक्षा बल को चौकसी में परेशानी होना स्वाभाविक है।

चौकसी के दौरान ही कुछ समय पहले सतलुज दरिया से साम्मके के पास से 11 किलो, पांच किलो व तीन किलो हेरोइन पकड़ी थी। दरिया के आसपास पैदा हुए सरकंडों के बीच रखे तीन कैन में से आठ किलो 120 ग्राम हेरोइन बीओपी साम्मेके के पास से पकड़ी थी। एक तस्कर पाक से सतलुज दरिया के रास्ते से करीब 16 किलो हेरोइन व हथियार लेकर आया था, जिसे बीएसएफ ने दरिया के बीच में ही दबोच लिया था। तस्करी के हालात यह हैं कि स्वीमिंग का चैंपियन हरजिंदर सिंह 15 किलो 112 ग्राम हेरोइन की खेप तैरकर लाता गिरफ्तार हो गया था। तस्करों ने हेरोइन की तस्करी के लिए नया तरीका अपनाया। हेरोइन के 60 पैकेटों को वालीबाल व फुटबाल के ब्लेडरों में भरकर 15-15 पैकेट के चार हिस्से कर दिए। इन्हें अलग-अलग कपड़े में बांधा गया। इसके बाद जलकुंभी को बेड़े की तरह इस्तेमाल कर इस पर हेरोइन के पैकेट रावी दरिया में रख दिए। इन पैकेटों को करीब 1500 मीटर लंबी लाल रंग की रस्सी से बांधा गया था, जिसका एक सिरा पाकिस्तान तस्कर के हाथ में था। बीएसएफ ने जैसे ही इन फुटबाल को पकड़ा तो दूसरी तरफ से तस्कर ने रस्सी को छोड़ दिया और भाग निकला।

अमृतसर सीमा... दोनों तरफ खेती तस्करी बढ़ी

सीमा पर काफी क्षेत्र ऐसे हैं ऐसे हैं, जहां से अक्सर हेरोइन पकड़ी जाती है। सीमा के दोनों ओर खेत होना इसका मुख्य कारण है। तस्कर ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं। फसल के बीच हेरोइन छिपा देते हैं। राजाताल, पुल कांगड़ी, सुंदरगढ़ व रियार कक्कड़ संवेदनशील प्वाइंट हैं।

वहीं तरनतारन का इलाका सबसे अधिक संवेदनशील है। आईबी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, करीब 105 किलोमीटर के क्षेत्र में नौशहरा ढाला, खालड़ा, अमरकोट व खेमकरण ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कंटीली तारों के दोनों तरफ खेत हैं। तस्कर इन तारों के बीच प्लास्टिक की पाइप डाल हेरोइन भेजते हैं। बरसात में कंटीली तार डूब जाती है, जिससे तस्कर पूरा फायदा उठाते हैं। अब इस क्षेत्र से हथियारों व विस्फोटक पदार्थ की तस्करी के इनपुट अधिक मिलने लगे हैं।

ड्रोन के जरिये हथियार पंजाब में भेजे जा रहे

पंजाब में इस साल बॉर्डर पर अब तक 59 बार ड्रोन एक्टिविटी पकड़ी गई है। बीएसएफ ने इसमें से 9 बार ड्रोन को मार गिराया है। इससे भारी मात्रा में विस्फोटक और ड्रग्स जब्त किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक पंजाब बॉर्डर पर पिछले 3 सालों में करीब 1150 किलोग्राम ड्रग्स सीमा सुरक्षा बल ने जब्त किया है। पंजाब में इस साल अब तक 4 महीनों में 150 किलो ड्रग्स पकड़ा जा चुका है।

करनाल में बरामद विस्फोटक में ड्रोन का इस्तेमाल

सीमावर्ती क्षेत्रों में चौकसी बढ़ाते हुए सीमा सुरक्षा बल ने कुछ मोबाइल नंबर भी जारी किए हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि यदि उन्हें पाकिस्तान से ड्रोन आने की या फिर नशे और हथियारों के बारे में इनपुट मिलता है तो वह 9417809047 या 0181 2233348 इन नबंरों पर जानकारी शेयर कर सकते हैं। ड्रोन की जानकारी देने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

करनाल जिले से चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से तीन आईईडी भी बरामद हुए। पकड़े गए बब्बर खालसा के संदिग्ध आतंकियों को पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये हथियारों की सप्लाई की गई थी। कश्मीर की जगह अब पाकिस्तान ने अपने बॉर्डर वाले भारत के राज्य पंजाब के इलाकों को टारगेट किया है। ड्रोन के जरिये लगातार हथियारों की सप्लाई हो रही है। करनाल में बब्बर खालसा के पकड़े गए चार आतंकियों का पाक में बैठे हरविंदर रिंदा से कनेक्शन सामने आया। वहीं तरनतारन में पकड़ी गई चार किलो आरडीएक्स में भी रिंदा की साजिश सामने आ रही है, जिसको ड्रोन के जरिये भेजा गया था। जम्मू के सौजन गांव में ड्रोन से हथियार गिराए गए थे। सौजन में एके-47, 3 मैगजीन, 30 गोलियां और नाइट विजन डिवाइस गिराए गए थे। पिछले साल 9 अगस्त को अमृतसर में पाकिस्तान से आए ड्रोन ने हथियार गिराए थे। अमृतसर में हैंड ग्रेनेड, टिफिन बम, आईईडी और कारतूस गिराए गए थे। 12 जून को अमृतसर के सुंदरगढ़ में पाकिस्तानी ड्रोन दिखा था। पिछले साल 25 सितंबर को तरनतारन में 7 से आठ बार पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया। तरनतारन में ड्रोन से राइफल, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड और सेटेलाइट फोन गिराए गए। पिछले साल ही जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से अटैक हुआ था। देश में पहली बार सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से हमला हुआ।

पाक से आए टिफिन बम अभी भी नहीं मिले...

ड्रोन के जरिये ही पाक से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में गिराई जा चुकी है। टिफिन बम ड्रोन के जरिये फिरोजपुर गिराए गए थे, जिसमें पुलिस ने आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन एक बड़ा हिस्सा अभी भी नहीं मिला है।

पंजाब में हमारी सख्ती, नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने देंगे : डीजीपी

पंजाब के नवनियुक्त डीजीपी गौरव यादव का कहना है कि हमारा तालमेल बीएसएफ के साथ है। संयुक्त आपरेशन भी चलाए जा रहे हैं, किसी सूरत में दहशतगर्दों को सिर नहीं उठाने नहीं दिया जाएगा। पंजाब पुलिस एक बहादुर फोर्स है, जिसने पंजाब में अमन व शांति को बहाल रखा है और पुलिस अमन व शांति को कायम रखेगी। उन्होंने कहा कि फील्ड में काफी अधिकारियों को लगाया गया है, हमारे आपरेशन पंजाब ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों में भी चल रहे हैं।

यहां 10 बार ड्रोन ने घुसने की कोशिश की

पठानकोट के बमियाल से डेरा बाबा नानक तक पाकिस्तान से भारत की लगभग 60 किमी. सरहद लगती है। पठानकोट के सिंबल स्कोल, टिंडा, पहाड़ीपुर, जैतपुर, काशी बाड़मां, सरोटा और बमियाल समेत कुल 12 गांव ऐसे हैं, जोकि पाकिस्तान सीमा से सटे हैं। वहीं, उज्ज, जलालिया दरिया और तरनाह नाला भी दोनों देशों की सीमा पर बहते हैं। पठानकोट का उज्ज दरिया सीमावर्ती गांव माखनपुर से पाकिस्तान में जाता है और लसियान से 2 किमी. पहले ही दोबारा भारत में वापसी करता है। सुरक्षा के लिहाज से यही सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। वहीं, पाकिस्तान से बहने वाला तरनाह नाला पाकिस्तान से पठानकोट के टिंडा में आकर उज्ज में समाता है। जलालिया दरिया भी सीमा पर बहता है। अंत में गुरदासपुर से पहले ही जलालिया, उज्ज और तरनाह रावी में समा जाते हैं। पठानकोट में बीएसएफ की टिंडा, सिंबल, बमियाल न्यू टैंट, जैतपुर, काशी बाड़मां, पहाड़ीपुर, लसियान समेत कुल 10 पद हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीएसएफ की चौकसी से पाकिस्तान ड्रोन के जरिये आज तक यहां हेरोइन या हथियार सप्लाई नहीं कर पाया है। हालांकि, पिछले डेढ़ साल में यहां 10 के करीब ड्रोन घुसपैठ की नाकाम कोशिशें हुई हैं।

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