पंजाब: 30 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ मामले में दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी दोषी

Update: 2022-08-13 10:21 GMT

ब्रेकिंग न्यूज़: अदालत के आदेश पर सीबीआई ने 28 फरवरी 1997 में थाना मेहता के एसएचओ राजिंदर सिंह, अतिरिक्त एसएचओ किशन सिंह व एसआई तरसेम लाल पर हत्या समेत कई धारओं के तहत केस दर्ज किया। सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को 30 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ से जुड़े मामले में दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को हत्या, सबूतों को मिटाने समेत कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया है। इनमें अमृतसर जिले के पुलिस थाना मेहता के तत्कालीन अतिरिक्त एसएचओ किशन सिंह व एसआई तरसेम लाल शामिल हैं, जबकि मामले के मुख्य आरोपी एसएचओ इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी। दोषियों को सजा 16 अगस्त को सुनाई जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने दोषियों को जेल भेज दिया है। यह मामला 1992 का है। मध्य प्रदेश पुलिस ने अमृतसर पुलिस को सूचित किया था कि उन्होंने तीन आरोपी साहिब सिंह, दलबीर सिंह और बलविंदर सिंह को गिरफ्तार किया है। इसके बाद अमृतसर के थाना मेहता की पुलिस ने आरोपियों का प्रोडक्शन वारंट लिया। पुलिस आरोपियों को सीआईए मजीठा माल मंडी पूछताछ के लिए लाई। यहां पर पुलिस ने तीनों आरोपियों व एक अन्य व्यक्ति को मार गिराया। साथ ही दावा किया कि एक अज्ञात आतंकी ने आरोपियों को छुड़वाने के लिए हमला किया। पुलिस ने घरवालों को सूचित किए बिना सबका संस्कार कर दिया। साहिब सिंह के पिता काहन सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली।

अदालत के आदेश पर सीबीआई ने 28 फरवरी 1997 में थाना मेहता के एसएचओ राजिंदर सिंह, अतिरिक्त एसएचओ किशन सिंह व एसआई तरसेम लाल पर हत्या समेत कई धारओं के तहत केस दर्ज किया। पिता ने कहा था- हमें तो अखबार से पता चला कि बेटा मार दिया गय साहिब सिंह के पिता काहन सिंह ने बयान दर्ज कराया था कि 1989 में उनका बेटा घर से चला गया था। वह दिल्ली में ट्रक ड्राइवरी करता था। उन्हें अखबार से पता चला था कि साहिब सिंह को 14 सितंबर 1992 को पुलिस मुठभेड़ में तीन और लोगों के साथ मार दिया गया। वह जब अन्य ग्रामीणों के साथ पुलिस स्टेशन गए तो मुंशी ने उन्हें बताया कि वे पहले ही साहिब सिंह का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके बाद वे वहां से उसकी अस्थियां लेकर आए। पहले पिता और अब भाई लड़ रहा है जंग मृतक साहिब के पिता ने इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को सजा दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया। इस बीच उनकी मौत हो गई। इसके बाद मृतक का भाई सरताज इस केस को लड़ रहा है। उनका कहना है कि वह तो इंसाफ चाहते हैं और उन्हें देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास है।

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