पंजाबः सुखबीर सिंह बादल का बड़ा ऐलान, कहा- सरकार बनने पर जल बंटवारा समझौता कर देंगे रद्द

बनने पर जल बंटवारा समझौता कर देंगे रद्द

Update: 2023-08-19 14:21 GMT
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि 2027 में पार्टी की पंजाब में अगली सरकार बनने पर वो तमाम जल बंटवारा समझौतों को रद्द कर देंगे. सुखबीर सिंह बादल ने जालंधर में कहा कि पंजाब में जब बाढ़ आती है तो हम जान-माल, अपनी फसलें और घर तक खो देते हैं, लेकिन जब पानी की जरूरत होती है तो उसे राजस्थान और हरियाणा की ओर मोड़ दिया जाता है. ये बहुत बड़ा अन्याय है, जिसे हम कतई बर्दाश्त नही करेंगें.
उन्होने कहा कि अगले पंजाब विधानसभा चुनाव 2027 में अकाली दल की सरकार बनते ही हम सभी जल बंटवारे के समझौतों को रद्द कर देगें और ये सुनिश्चित करेंगें कि हमारे किसान ही बहुमूल्य जल संसाधनों से लाभांवित हो सकें क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा इसका प्रकोप भी झेलना पड़ता है. पंजाब का अपनी नदियों के पानी पर पूरा अधिकार है. रिपेरियन सिद्धांत भी इसे स्पष्ट करता है, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकारों ने राजस्थान के एक गैर-रिपेरियन राज्य होने के बावजूद 15.85 एमएएफ रावी-जल ब्यास जल में से 8 एमएएफ आवंटित करके राज्य का पानी लूटा गया.
मौजूदा समय में देश में अनेक अंतरराज्यीय जल विवाद चल रहे हैं. उन्हीं में से एक कुछ दशकों पुराना रावी-ब्यास जल विवाद है. यह लगभग आजादी के बाद से ही चला आ रहा है. स्वतंत्रता और 1966 के पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के बीच यह राजस्थान और पंजाब के बीच रहा है. अधिनियम लागू होने के बाद हरियाणा और पंजाब विभाजित हो गए. हरियाणा तीसरा राज्य बन गया, जिसने नदियों के पानी पर भी दावा किया.
पंजाब करता है ये दावा
पंजाब सरकार ने एक अध्ययन किया है जिससे पता चलता है कि राज्य के कई क्षेत्र 2029 तक सूखा ग्रस हो सकते हैं. सिंचाई उद्देश्यों के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया है क्योंकि राज्य केंद्र को हर साल 70,000 करोड़ रुपए का गेहूं और धान देता है. राज्य के 138 ब्लॉकों में से 109 ब्लॉकों की स्थिति सूखे के लिहाज से बेहद खराब है. ऐसे में पंजाब का तर्क है कि दूसरे राज्यों के साथ जल बंटवारा असंभव है.
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