Punjab पंजाब: संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में किसान 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं। सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी और अन्य मांगों को लेकर किसान पंजाब के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह दल्लेवाल 32 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने दोनों मोर्चों की ओर से ऐलान किया कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद रखा गया है। इसके तहत आवाजाही पूरी तरह बंद रहेगी, रेल यातायात बंद रहेगा। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं जारी रखने की बात कही गई है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद का ऐलान दोनों किसान मोर्चों ने किया है।
उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और कई संगठन जुट गए हैं। बंद को सभी वर्गों से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने देशभर के किसानों और सामाजिक संगठनों, मजदूरों से बड़ी संख्या में किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील की है। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद के दिन पूरे प्रदेश में पेट्रोल पंप और गैस एजेंसियां पूरी तरह से बंद रहेंगी। वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद रहेगी। रेल सेवाएं भी बंद रहेंगी। बाजारों में दुकानों के शटर पूरी तरह से बंद रहेंगे। सामान्य जनजीवन पूरी तरह से बंद रहेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब बंद के दौरान आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।
मेडिकल सेवाएं, शादी कार्यक्रम, एयरपोर्ट सेवाएं और अन्य जरूरी सेवाएं बहाल रहेंगी। किसी भी बच्चे का इंटरव्यू या परीक्षा नहीं रोकी जाएगी। किसान नेता ने कहा कि पंजाब बंद को लेकर किसानों और अन्य संगठनों का पूरा समर्थन मिल रहा है। यह बंद देश में लाई गई कॉरपोरेट नीति पर सवाल उठाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता लगातार टीवी चैनलों पर यह धारणा बना रहे हैं कि जगजीत सिंह दल्लेवाल साहब जिद्दी हैं, लेकिन दल्लेवाल साहब जिद्दी नहीं हैं, वे आमरण अनशन पर बैठे हैं। इससे पहले करीब ग्यारह महीने से वे किसानों से बात करने और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कह रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री जिद्दी हैं और गृह मंत्री जिद्दी हैं। इसलिए देश के प्रधानमंत्री को अपनी जिद छोड़कर बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाना चाहिए। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि पंजाब सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह मोदी जी के साथ है या देश के किसान-मजदूरों के साथ। इस पंजाब बंद को लेकर अकाली दल और कांग्रेस को भी स्पष्ट करना चाहिए कि वह 30 दिसंबर के बंद के साथ हैं या मोदी सरकार के साथ।