खाद्य वस्तुओं के अधिकारों को लेकर बोले जोगिन्द्र उगराहां, सरकार पर लगाए ये आरोप
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संगरूर। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां द्वारा मानी हुई मांगों को लागू करवाने के लिए मुख्यमंत्री की कोठी के आगे लगाए गए पक्के मोर्चे के 19वें दिन भारी संख्या में किसान महिलाओं तथा पुरुषों ने हाजिरी लगवाई। प्रदेशाध्यक्ष जोगिन्द्र सिंह उगराहां ने 29 अक्तूबर के इकट्ठ संबंधी कहा कि यह लड़ाई निजीकरण की नीति से है। सरकारें कार्पोरेट घरानों के इशारों पर निजीकरण की नीति का कुल्हाड़ा किरती लोगों पर चला रही हैं।
सरकार निजीकरण की नीति पर चलते हुई पहले लोगों की सुविधा के लिए बने सरकारी अदारों को निजी हाथों में दे रही है, उसके तहत खाद्य वस्तुओं का पूरा अधिकार भी कार्पोरेट तथा निजी हाथों में दे रही है। उदाहरण के तौर पर किसान अपने खेत में सरसों तो पैदा कर सकता है लेकिन अपने घर में कोहलू लगाकर उसमें से तेल निकालकर बाजार में नहीं बेच सकता है। इसी तरह अन्य खाद्य वस्तुओं पर भी निजीकरण की नीति द्वारा पाबंदियां लगाई जा रही हैं जबकि कार्पोरेट घरानों को कच्चे माल पर बड़ा मुनाफा कमाने के लिए खुली छूट दी जा रही है। प्रदेश सचिव शिंगारा सिंह मान ने भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एक्वायर की जा रही जमीनों के मालिक किसानों को जमीन के उचित मूल्य देने में पक्षपात करने का आरोप लगाया।
उदाहरण के लिए बठिंडा में छावनी बनाने के लिए बहुत सारे गांवों की जमीन एक्वायर की गई, जिसमें गांव शैहना की सारी जमीन आने के कारण गांव का नामो-निशान ही मिट गया है। आमदन के स्रोत भी किसानों के छीने जा रहे हैं जिससे पंजाब में अन्न का संकट और बढ़ेगा। इस दौरान धर्मकोट ब्लॉक के अध्यक्ष डा. गुरदेव सिंह किशनपुरा, मुक्तसर से मलकीत सिंह, मानसा के सीनियर उपाध्यक्ष जोगिन्द्र सिंह दयालपुरा ने भी संबोधित किया।