ठेकेदारों के लिए 'नोट छापने वाली मशीन' बन गई थी जालंधर स्मार्ट सिटी

Update: 2023-02-05 18:20 GMT
जालंधर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च करके देश के 100 शहरों का चुनाव किया था ताकि यहां रहने वाले लाखों करोड़ों लोगों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जा सकें और आधुनिक टैक्नोलॉजी के माध्यम से करोड़ों अरबों रुपए खर्च करके इन लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके। जब देश के 100 शहरों की सूची में जालंधर का नाम भी जुड़ा तो यहां लोगों ने गर्व महसूस किया था और आशा जगी थी कि अब शहर के सौंदर्यीकरण में और सुधार होगा और वर्ल्डक्लास की सुविधाएं इस शहर को प्राप्त होंगी परंतु लोगों को क्या पता था कि स्मार्ट सिटी मिशन लांच होने के बाद उनकी समस्याओं में पहले से भी ज्यादा वृद्धि हो जाएगी और शहर स्मार्ट बनने की बजाय और पीछे चला जाएगा।
7 साल से ज्यादा अर्से के दौरान जालंधर स्मार्ट सिटी ने शहर के लिए 60 से ज्यादा प्रोजैक्ट बनाए जिनमें से 30 प्रोजैक्ट पूरे किए जा चुके हैं और करीब 34 प्रोजैक्ट अभी भी लटक रहे हैं। कई प्रोजैक्ट तो शुरू ही नहीं किए जा सके। इस प्रकार जालंधर स्मार्ट सिटी शहर को नई लुक देने की बजाय कुछ अफसरों और ठेकेदारों के लिए केवल 'नोट छापने वाली मशीन' बन कर रह गई। यही कारण है कि पिछले समय दौरान जालंधर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा अब पंजाब सरकार ने विजीलैंस ब्यूरो को सौंप रखा है। जालंधर स्मार्ट सिटी के ठेकेदारों से कमीशन लेकर और करोड़ों रुपए के प्रोजैक्ट अपने चहेतों को देकर किस अफसर ने कितने पैसे कमाए, चाहे इसकी चर्चा पूरे शहर में है परंतु इस मामले में विजिलैंस ब्यूरो के अधिकारी कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाह रहे और फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। आने वाले दिनों में जालंधर स्मार्ट सिटी के भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा हो सकता है।
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