जालंधर। एक हफ्ते से लगातार पड़ रही गर्मी के कारण दिन का तापमान 28 से 30 डिग्री और रात के समय 14 डिग्री तक पहुंचना शुरू हो गया है लेकिन एक बार फिर से मौसम का मिजाद बदलने जा रहा है।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि 28 फरवरी हल्की तो 1 मार्च को जिले में कुछ हिस्सों में भारी बरसात के साथ 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। खेतीबाड़ी विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार 2012 में फरवरी महीना बिल्कुल ही सूखा रहा था। इस बार 2023 में भी सूखा रहने की संभावना है और मार्च महीने की शुरूआत बरसात से होगी। हर साल कम हो रही बरसात चिंता का विषय बनती जा रही है जिसका असर फसलों पर देखने को मिल सकता है, इसलिए किसानों से अपील करते रहते हैं कि उन फसलों की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाए जो कम पानी से जल्दी तैयार हो जाती हैं।
गेहूं की फसल के लिए पानी की जरूरत अधिक होती है। अगर बरसात नहीं होती है तो भूजल से फसल की सिंचाई की जाएगी। खेतीबाड़ी माहिरों का मानना है कि इस मौसम में बरसात का होना बहुत ही जरूरी है। फरवरी में 2011 में 32 मिलीमीटर, 2012 में हुई नहीं, 2013 में 70.8 एम.एम., 2014 में 28.3 एम. एम., 2015 में 58.73 एम.एम., 2016 में 7.7 एम.एम., 2017 में 5.3 एम.एम., 2018 8.0 एम.एम., 2019 में 80.7 एम. एम. 2020 में 5.4 एम.एम., 2021 में 4.0 एम.एम., 2022 में 3.2 एम. एम., बरसात हुई। इन आंकड़ों को देखा जाए तो हर सार बरसात कम हो रही है जिसका मुख्य कारण बढ़ रहा प्रदूषण, जनसंख्या, काटे जा रहे पेड़ हैं। अगर वातावरण को बचाना है तो हमें इन चीजों को हर हालत में ठीक करना होगा।