सरकार की शराब नीति की निकली हवा, लोगों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़

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Update: 2022-10-13 14:15 GMT
गुरदासपुर। जिले में सेहत विभाग द्वारा मिठाइयों की दुकानों पर छापेमारी की जा रही है और सैंपल भी भरे जा रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को मिलावट वाली चीजों से बचा कर उनकी सेहत का ध्यान रखना कहा जा रहा है परंतु जिले में जिस तरह से घटिया तथा महंगी शराब लोगों को मिल रही है। इस संबंधी कोई भी विभाग सक्रिय दिखाई नहीं देता जबकि लोगों को बिना मिलावट के शराब उपलब्ध करवाना भी सरकार व जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी की नई आबकारी नीति को लेकर कई तरह की चर्चाओं का जोर रहा परंतु बाद में दिल्ली की तर्ज पर ही टैंडर प्रणाली वाली आबकारी नीति पंजाब सरकार द्वारा लागू कर दी गई।
इससे पंजाब भर में शराब के छोटे कारोबारी पूरी तरह से समाप्त हो गए और शराब कारोबार की कमान बड़े व्यापारियों के हाथ में आ गई। यदि देखा जाए तो टैंडर प्रणाली के चलते पंजाब के लगभग सभी जिलों में शराब के रेटों में भारी कमी रिकार्ड की जा रही है परंतु जिले तथा आसपास के कस्बों मे चल रहे ठेकों पर अन्य शहरों के मुकाबले शराब महंगे दामों में बिक रही है। साथ ही शराब में मिलावट के भी समाचार सामने आ रहे हैं। यदि इस संबंधी सर्वे किया जाए तो पंजाब सरकार के बनते ही राज्य में शराब बहुत सस्ती हो गई थी तथा जिले में भी शराब सस्ती मिलती थी परंतु धीरे-धीरे सिंडिकेट के बनते ही शराब के रेट 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए।
ठेकेदारों का सरकार से सीधा सम्पर्क होने के कारण वे विभाग की नहीं सुनते
जिले में शराब महंगी व घटिया मिलने संबंधी संबंधित कर व आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे कुछ नहीं बोल सकते। शराब के ठेकेदारों का सरकार से सीधा सम्पर्क होने के कारण वह विभाग की भी नहीं सुनते। जिले में शराब के ठेकेदार अपनी मर्जी से किसी भी समय ठेके खोल लेते हैं तथा किसी भी समय बंद कर देते हैं जबकि इस संबंधी समय-सीमा निर्धारित की गई है। इसी तरह शराब के सैंपल लेने का अधिकार सेहत विभाग के पास है। वह सैंपल क्यों नही ले रहे इसका जवाब भी सेहत विभाग ही देगा।
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