40 घंटे से ज्यादा बोरवेल में फंसा इंजीनियर, 5 मशीनें बचाव कार्य में जुटी

Update: 2023-08-14 10:12 GMT
जालंधर। दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस वे के निर्माण के दौरान करतारपुर में 60 फीट बोरवेल में फंसे इंजीनियर सुरेश यादव को अभी भी निकालने की कोशिशें जारी है। करीब 40 घंटे से ज्यादा का समय हो गया है पर अभी तक NDRF की टीमें मुकेश को निकालने में कामयाब नहीं हो पाई हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी दिक्कत तालाब है। क्योंकि कुछ ही दूरी पर तालाब बना हुआ है और उसमें काफी ज्यादा पानी है। पानी को निकालने के लिए 10 पंप लगाए हैं। क्योंकि हमें 70 फीट तक जाना है और अभी सिर्फ 30 फीट तक ही पहुंच पाए हैं। तालाब के कारण NDRF की टीम को बार-बार अपनी स्ट्रेटेजी में बदलाव करना पड़ रहा है। पहले देर रात को सूचना थी कि NDRF की टीम सुरेश के नजदीक पहुंच गई है और उसे निकालने वाली है, लेकिन फिर पता चला कि टीम उसे नहीं निकाल पाई है।
मिट्टी होने से बार-बार नीचे गिर रही है। जिस वजह से इस रेस्क्यू ऑपरेशन में ज्यादा टाइम लग रहा है। 4 से 5 जेसीबी मशीनें लगातार मिट्टी बाहर निकाल रही है। अब तक 120 के करीब मिट्टी के टिप्पर निकाले जा चुके हैं। वहीं इस बारे में जालंधर के जिला अधिकारी ने बताया कि दिल्ली-कटरा के हाइवे को लेकर काम चल रहा था। 3 पिल्लर बन गए थे। चौथा पिल्लर बनाया जा रहा था। चौथे पिल्लर को बनाने के लिए बोरिंग हो रही थी। इस दौरान मशीन नीचे ही फंस गई थी। मशीन को निकालने के लिए दो एक्सपर्ट को बुलाए गए थे। मशीन निकालने के दौरान मिट्टी उन पर गिर गई। जिसमें एक इंजीनियर बच गया जबकि दूसरा अंदर फंस गया। तालाब के पानी और पिल्लर गहने होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में थोड़ी दिक्कतें आ रही है।
NHAI के रीजनल इंजीनियर विपनेश शर्मा ने बताया कि कल दिल्ली-कटरा हाइवे पर पाइलिंग का काम हो रहा था। पाइलिंग के दौरान मशीन का निचला हिस्सा नीचे ही फंस गया था। जिसे निकालने के लिए दो इंजीनियर पूरी सुरक्षा के साथ नीचे गए हुए थे। दोनों मशीन को ऊपर लाने ही लगे थे तो इस दौरान एक इंजीनियर ऊपर आ गया। जबकि दूसरे के ऊपर मिट्टी गिर गई। उसे बचाने की कोशिश की गई। लेकिन वह नीचे ही फंस गया। हम उसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
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