पंजाब: हिमाचल प्रदेश में बीते शनिवार को हुई भारी बारिश के कारण पोंग बांध ओवरफ्लो होने से महज 12 फुट दूर है। बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में पानी की आवक अचानक बढ़ गई। बांध में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड बीबीएमबी को 14 तारीख को फिर से बांध के फ्लड गेट खोलने पड़े। इसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है।
ब्यास नदी के दोनों किनारों पर पंजाब और हिमाचल प्रदेश के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने लोगों को निकालने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ), भारतीय सेना और हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। बीबीएमबी के अधिकारियों ने बताया कि 12 और 13 तारीख को हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश हुई, जिससे बांध में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया।
बांध की झील में साढ़े सात लाख से ज्यादा पानी आ गया और बांध का जलस्तर 1397 फुट से ऊपर उठ गया। शाम तक जलस्तर 1399 फुट के आसपास पहुंच गया था। बांध में लगातार पानी की आवक के कारण फ्लड गेट्स से एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया। इससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई।
अतिरिक्त पानी छोड़ने से पहले संबंधित राज्य सरकारों, विभागों और निचले इलाकों के प्रभावित इलाकों को एडवाइजरी जारी की गई थी। उधर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के दर्जनों गांवों में पानी घुस गया। कई गांव पानी में डूब गए। प्रशासन ने पानी में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल, भारतीय सेना और हेलीकॉप्टरों की मदद ली।
बीबीएमबी के मुख्य अभियंता एके सिडाना ने बताया कि शाम पांच बजे पौंग बांध में जलस्तर 1397 फुट दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान 1395 से महज दो फुट ऊपर है। झील में पानी की आवक 55367 क्यूसेक है जबकि बाढ़ गेटों और टरबाइनों के माध्यम से शाह नहर बैराज में कुल 138223 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। मुकेरियां हाइडल नहर से 11500 क्यूसेक और शाह नहर बैराज के 47 गेटों से करीब 126723 क्यूसेक पानी ब्यास नदी में छोड़ा जा रहा है।
ब्यास नदी में खनन से पड़ रही गांवों को पानी मार
ब्यास नदी के पानी ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश के दर्जनों गांवों में भारी तबाही मचाई है। कई जगहों पर नदी का रुख बदल गया है, जिससे गांव पानी में डूब गए हैं। प्रभावित लोगों ने इसके लिए स्टोन क्रशर और ब्यास नदी में हो रहे खनन को जिम्मेदार ठहराया है। गांव बेला ठाकरां के पूर्व सरपंच कुलदीप सिंह और मंड सनूर के मास्टर हंसराज ने कहा कि नदी में खनन के कारण जगह-जगह बांध टूट गए हैं और पानी गांवों में घुस गया है।
सरकार, प्रशासन और क्रशर माफिया की मिलीभगत से चल रहे कथित धंधे का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। नदी के दोनों किनारों पर लगी सैकड़ों एकड़ धान, मक्का, बाजरा और गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है। गुज्जर शेर अली ने बताया कि नदी के किनारे बसे बेला लुध्यादचान, हलेढ़, पराल, रियाली, मंड बढ़पुर गांवों में कई परिवारों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया है। लोग सरकारी स्कूलों, सत्संग घरों या फिर खुले में रह रहे हैं। उनके भाई की भैंसें नहीं बच सकीं और नदी की भेंट चढ़ गईं।