पटियाला में कैप्टन का धमाका ठुस्स, जिले के किसी भी हलका इंचार्ज ने BJP में नहीं की एंट्री
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पटियाला। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का जिला पटियाला में धमाका ठुस्स होकर रह गया है। कैप्टन की पार्टी पी.एल.सी. का बीजेपी में मिलने मौके यह बड़े क्यास थे कि जिला पटियाला से पता नहीं कितने बड़े नेता कैप्टन के साथ जाएंगे क्योंकि पटियाला कैप्टन का पैतृक जिला है परन्तु जिला पटियाला के 8 विधानसभा हलकों के 8 हलका इंचार्जों में से कैप्टन के साथ एक भी नहीं गया। जिले के 8 विधानसभा हलकों में से राजपुरा से कांग्रेस के महासचिव हरदयाल सिंह कम्बोज, घनौर से मदन लाल जलालपुर, पटियाला शहर से हलका इंचार्ज विष्णु शर्मा, नाभा से पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, सनौर से हरिन्दर पाल सिंह हैरीमान, समाना से काका राजिन्दर सिंह, पातड़ां से कांग्रेस के दोनों बड़े नेता दरबारा सिंह और निर्मल सिंह शुतराना, पटियाला देहाती हलके इंचार्ज सहित कांग्रेस के सीनियर नेता लाल सिंह यहां तक कि दूसरी कतार के नेता भी कैप्टन के साथ नहीं गए और समूह कांग्रेसी नेताओं ने पूरी तरह एकजुटता दिखाई है।
उधर, दूसरी तरफ कांग्रेस के महासचिव हरदयाल सिंह कम्बोज भी कांग्रेसी वर्करों और नेताओं को रोकने के लिए पूरी तरह सक्रिय रहे और कांग्रेस की इस एकजुटता के साथ जिले में नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह की पटियाला जिला तो क्या पूरे पंजाब में तूती बोलती थी। 2002 से 2007 तक पहले मुख्यमंत्री रहे और फिर 2017-2022 तक साढ़े चार साल के लगभग मुख्यमंत्री रहे। कैप्टन अमरिंदर को पटियाला जिले ने बहुत ज्यादा सहयोग नहीं दिया। हां अमरिंदर के साथ पहले ही उसकी पार्टी पी.एल.सी. के नेता जरूर बीजेपी में मर्ज होने के लिए तैयार हैं।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह की पी.एल.सी. के भाजपा में मर्ज होने से अब बाकी पंजाब की तरह पटियाला जिले में भी आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल आमने-सामने हो जाएंगे। शहर में पी.एल.सी. ने कांग्रेस का काफी नुक्सान किया है और बाकी हलकों में पी.एल.सी. का कोई ज्यादा प्रभाव नजर नहीं आता। अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि पी.एल.सी. के कितने नेता सीधे तौर पर भाजपा में आएंगे।