पंजाब में नई सरकार बनते ही सीएम मनोहर लाल ने एसवाईएल का मुद्दा उठाया, कहा- 'आप की दोहरी जवाबदेही'

पंजाब में नई सरकार गठन के तुरंत बाद ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का मामला उठाया है।

Update: 2022-03-17 14:01 GMT

पंजाब में नई सरकार गठन के तुरंत बाद ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का मामला उठाया है। मनोहर लाल ने कहा कि हमने तो पंजाब से पानी लेना है और दिल्ली को देना है। अब पंजाब की सरकार की दोहरी जवाबदेही है, क्योंकि अब दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है।

मुख्यमंत्री गुरुवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। आम आदमी पार्टी के अगले लक्ष्य हरियाणा के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप पार्टी हरियाणा में नहीं आएगी, बल्कि भाजपा पंजाब में आगे बढ़ेगी, क्योंकि आप पार्टी लोगों को फ्री की आदत डालती है और भाजपा लोगों को पैरों पर खड़ा करने में विश्वास करती है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और दिल्ली मॉडल पर निशाना साधते हुए मनोहर लाल ने कहा कि केजरीवाल केवल शेखी बघारतें हैं, दिल्ली की हरियाणा से तुलना नहीं हो सकती। दिल्ली में लगभग 1100 सरकारी स्कूल हैं लेकिन हरियाणा में 15 हजार सरकारी स्कूल हैं। इसी प्रकार, अस्पतालों की स्थिति है।
खेती की जमीन हरियाणा की तुलना में भी दिल्ली बेहद कम है, जबकि हरियाणा में 80 लाख एकड़ कृषि भूमि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में आय अधिक है लेकिन सुविधाएं कम दी जा रही हैं, जबकि प्रदेश में अधिक सेवाएं दी जा रही हैं। मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा की तुलना पंजाब से जरूर की जा सकती है। पंजाब सरकार को अब सोचना पड़ेगा जब कुछ दिनों में उनके प्रदेश का बजट पेश होगा। उनके राज्य का डेबिट टू जीएसडीपी अनुपात 48 प्रतिशत है, जो हरियाणा का महज 24.98 प्रतिशत है।
आरएसएस का आदमी सीएम बन सकता है तो सलाहकार क्यों नहीं: मनोहर लाल
जिलों में मुख्यमंत्री सलाहकार सहयोगियों की नियुक्ति पर विपक्ष द्वारा उठा गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आरएसएस का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है तो सलाहकार क्यों नहीं। आरएसएस की सोच वाले व्यक्ति का तो पहला नंबर होना चाहिए, क्योंकि जिस सोच का मैं हूं, उसी सोच का सलाहकार होगा तो अच्छा होगा। वैसे सीएम किसी को भी अपना सलाहकार रख सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएमजीजीए का किसी राजनीतिक संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। न ही यहां पर चयन के लिए आरएसएस कोई पैमाना है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया इन सहयोगियों को मानदेय सरकारी मद से नहीं दिया जा रहा, बल्कि सामाजिक संगठनों के माध्यम से दिया जा रहा है।
सरकार अब पीपीपी के बजाय गवर्नमेंट कम्युनिटी पार्टनरशिप पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा बनाए गए समर्पण एप्लीकेशन के माध्यम से सामाजिक काम के लिए करीब 75 हजार लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसी तर्ज पर अब नया पोर्टल बनाया गया है। इसके तहत 2900 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इन्हें जल्द सामाजिक कार्यों में लगाया भी जाएगा।
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