Punjab,पंजाब: डायमोनियम फास्फेट (DAP) खाद की कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने क्षेत्र के सभी खाद विक्रेताओं पर शिकंजा कस दिया है। विशेष अभियान के तहत विभाग के अधिकारी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में खाद विक्रेताओं की दुकानों व गोदामों पर डीएपी व अन्य खादों का अचानक भौतिक सत्यापन कर रहे हैं। फरीदकोट के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अमरीक सिंह ने बताया कि डीएपी की कालाबाजारी व जमाखोरी के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है, ताकि किसानों को जरूरत के मुताबिक डीएपी मिलने में दिक्कत न आए। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि खाद विक्रेताओं की दुकानों पर रोजाना खाद स्टॉक बोर्ड पर स्टॉक में खाद की मात्रा व कीमत लिखी जाए। डीएपी व अन्य फास्फेट आधारित खादों की जमाखोरी रोकने के लिए कृषि विभाग ने जिले के फरीदकोट, कोटकपूरा व सादिक क्षेत्र में विभिन्न खाद विक्रेताओं के खाद स्टॉक का अचानक निरीक्षण किया।
विभाग ने सभी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे अपने पास उपलब्ध फास्फेट व अन्य उर्वरकों के स्टॉक को प्रमुखता से प्रदर्शित करें तथा रेट भी अंकित करें। अमरीक सिंह ने कहा कि गेहूं की बिजाई के लिए फास्फोरस की आवश्यकता होती है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे गेहूं की फसल में फास्फोरस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केवल डीएपी पर निर्भर न रहें। सिंगल सुपर फास्फेट व अन्य फास्फेटिक उर्वरकों का भी प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक खरीददार को उचित बिल दिया जाए तथा किसानों को केवल आवश्यक सामग्री ही बेची जाए। अन्य कोई अनावश्यक वस्तु किसानों पर न थोपी जाए। उन्होंने किसानों से कहा कि वे खाद खरीदते समय दुकानदार से बिल अवश्य लें।