सुल्तानपुर: राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य समकालीन परिस्थितियों में खरा उतरता है। उनकी रचनाओं में गरीब, श्रमिक, किसान और स्त्री जीवन का सशक्त चित्रण हुआ है। वह महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा प्रेमचंद का कथा साहित्य विषय पर आयोजित स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रंजना पटेल ने कहा कि प्रेमचन्द देश की विशाल जनता, खेतिहर देश के श्रमिक और किसानों की महागाथा लिखने वाले भारतीय साहित्यकार हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा सिंह ने बताया कि प्रेमचंद एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के शुरुआत मेंजब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था उस समय उनका योगदान अतुलनीय है।
असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहाकि प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। छात्रा कोमल मौर्या ने कहा कि देश के प्रख्यात आलोचकों ने प्रेमचंद के कथा साहित्य को अपने समय का सर्वश्रेष्ठ दस्तावेज बताया है। मुस्कान सिंह ने बताया कि प्रेमचंद ने आम जनता की भाषा में साहित्य रचा। उन्होंने हिंदुस्तानी भाषा में लेखन को बढ़ावा दिया। यहां करन, नंदिनी, पूजा, श्वेता मिश्र व रिया श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे।