ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र हो-हल्ला की भेंट चढ़ा
ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र
ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र को समय से पहले समाप्त कर दिया गया है। इससे पहले मानसून सत्र पूरा नही चल पाया था। इससे लगने लगा है कि विधानसभा में समय से पहले सत्र समाप्ति का चलन सा शुरू हो गया है। बीजू जनता दल पर लगातार आरोप लगता रहा है कि संख्या बल को आधार बनाकर शासक दल मन मुताबिक विधानसभा में कार्यवाही चला रहा है। विपक्षी दलों के मुकाबले बीजू जनता दल ज्यादा आक्रामक तेवरों के साथ पेश आया।
आमतौर पर विपक्ष सदन में हंगामा करता दिखाई देता है मगर शीतकालीन सत्र में शासक दल भी लगातार हंगामा करता दिखाई दे रहा था। 9 दिन तक हो-हल्ला तथा गृह में अशांति का वातावरण बना रहा जिससे बार-बार सदन को स्थगित किया गया। शासक दल ने परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए सदन की कार्यवाही समय से पहले समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार किया और 26 कार्य दिवस वाला यह सत्र 9 कार्य दिवस के बाद समाप्त घोषित कर दिया गया।
शासक दल के मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने विधानसभा का सत्र स्थगित रखने का प्रस्ताव पेश किया और दलील दी कि गृह में कोई कार्य नहीं बाकी बचा है साथ ही कोविड-19 लहर की आशंका भी है। अतः सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाए। शासक दल के शशिभूषण बेहेरा और अश्विनी पात्र ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया संसदीय व्यापार मंत्री ने विपक्ष को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और सदन की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए शीतकालीन सत्र की समाप्ति पर सभी सदस्यों का धन्यवाद किया।