सीएम नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजद ने रचा इतिहास, सभी 30 जिलों में किया जिला परिषद का गठन

ओडिशा (Odisha) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.

Update: 2022-03-13 15:48 GMT

ओडिशा (Odisha) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, कि जब किसी एक पार्टी ने राज्य के सभी जिलों में जिला परिषद (Zilla Parishad) का गठन किया है. यह अभूतपूर्व है. बीजू जनता दल (BJD) की जीत और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Chief Minister Naveen Patnaik) के मजबूत नेतृत्व में मतदाताओं के अपार विश्वास का परिणाम है. बता दें कि सभी जिला परिषद अध्यक्षों की औसत आयु 41 वर्ष है. इसके लिए अच्छे रिकॉर्ड वाले युवा और शिक्षित उम्मीदवारों का चयन किया गया है. जिला परिषद अध्यक्षों में से 70 फीसदी महिलाएं हैं. जिला परिषद अध्यक्ष की 67 प्रतिशत सीटें (अनारक्षित/महिला) ओबीसी सदस्यों से भरी हुई हैं. वहीं, स्वाभिमान आंचल की महिला सामरी तांगुल को जिला परिषद अध्यक्ष, मलकानगिरी चुना गया है.

प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ नेतृत्व के पदों के लिए सीएम पटनायक ने युवा, शिक्षित और प्रतिभाशाली उम्मीदवार को चुना है. मात्र 23 साल की सरस्वती मांझी को सबसे कम उम्र की जिला परिषद के अध्यक्ष रूप में चुना गया है. मांझी बीएससी में स्नातक हैं. वह रायगडा जिले में विकास गतिविधियों की अगुवाई करेंगी. वहीं, सामरी तांगुल को स्वाभिमान आंचल मलकानगिरी में जिला परिषद अध्यक्ष के रूप चुना गया है. सामरी 26 साल की हैं. उन्होंने केवल 12वीं तक की पढ़ाई की हैं.
इसी तरह सरस्वती मांझी भी सुदूर काशीपुरी की रहने वाली हैं. संबलपुर जिले की कुमुदिनी नायक भी सुदूर बमरा प्रखंड की हैं. उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में स्थानीय जिला अध्यक्षों के नेतृत्व में इन क्षेत्रों में और विकास गतिविधियां देखने को मिलेंगी. 30 में से 15 जिलों (50%) में 40 साल से कम उम्र के जिला परिषद अध्यक्ष हैं. वहीं, 30 जिलों में से 23 (76%) में 50 वर्ष से कम उम्र के जिला परिषद अध्यक्ष हैं. सभी जिला परिषद अध्यक्षों की औसत उम्र 41 साल है.
पंचायत चुनाव में बीजेडी का जलवा
दो हफ्ते पहले ओडिशा पंचायत चुनाव में 829 जिला परिषद सीटों के नतीजे आए. इनमें से 743 सीटों पर BJD ने जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी ने 42 सीटों पर जीत हासिल की. उधर, कांग्रेस ने 37 सीटें और आईएनडी ने 3 सीटें जीतीं. इसके अलावा 4 सीटें अन्य के खातों में गईं. इससे पिछली बार पंचायत चुनाव में बीजेपी का जलवा रहा था. बीजेपी ने पिछली बार 297 सीटें जीती थीं.
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