पिछले दो सालों से पेंशन के लिए भटक रहे दिव्यांग भाई

अधिकारियों ने शिकायत सुनी लेकिन कोई समाधान नहीं किया

Update: 2024-03-20 09:56 GMT

मेरठ: लेसा में पिछले दो सालों से दिव्यांग भाई की देखभाल के लिए तलाकशुदा बहन पारिवारिक पेंशन के लिए भटक रही है. खंड कार्यालय से लेकर मुख्य अभियंता कार्यालय तक चक्कर लगाने के बावजूद जब पारिवारिक पेंशन नहीं बनी तो वह शक्ति भवन पहुंची, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल विद्युत निगम में आयोजित पेंशन अदालत में जाने को कहा, लेकिन यहां भी अधिकारियों ने शिकायत सुनी लेकिन कोई समाधान नहीं किया.

सआदतगंज स्थित छोटे साहब आलम रोड निवासी गुलशन रिजवी ने बताया कि उनके पापा स्व. आफाक हुसैन 31 जनवरी 20 में लेसा में टीजी-2 पद से रिटायर हुए थे. उनकी 04 जुलाई 2021 में मृत्यु हो गई. चंद माह बाद जनवरी 2022 में मेरी मां सायरा बेगम की भी मृत्यु हो गई. उन्होंने बताया कि वह तलाकशुदा हैं. एक भाई अफरोज आलम द्विव्यांग है. दूसरा भाई शादाब हुसैन भी छोटा है. सभी दस्तावेज और एनओसी भी जमा कर दिए, लेकिन तकनीकी कारणों से छोटे भाई शादाब हुसैन के नाम से आवेदन किया. इसके बावजूद पेंशन नहीं मिली. रिफा कॉलोनी निवासी यासमीन जहां ने बताया कि उनके पिता अब्दुल मजीद ड्राइवर के पद से रिटायर हुए थे. अप्रैल 2023 में देहांत हो गया. अगस्त में मां की भी मृत्यु हो गई. मैंने पारिवारिक पेंशन को आवेदन किया है. सहायक लेखा अधिकारी जीजी मिश्रा समेत अधिकारियों ने बताया कि शिकायतों का समाधान एक हफ्ते में होगा.

300 खटारा स्कूली वाहन दौड़ रहे

स्कूली वाहनों की फिटनेस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है. बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी स्कूली बसें फिटनेस जांच कराने नहीं पहुंच रही हैं. ऐसे स्कूली संस्थानों के खिलाफ परिवहन विभाग अब सख्त कार्रवाई करने जा रहा है. तीन दिन पहले ही 00 से ज्यादा ऐसे स्कूली वाहनों को नोटिस भेजी गई है, जिन्होंने अपनी फिटनेस नहीं कराई है. इसमें 300 से ज्यादा ऐसे खटारा स्कूली वाहन हैं, जो कई बार नोटिस के बावजूद फिटनेस जांच के लिए नहीं पहुंचे.

ऐसे वाहन स्वामियों को बार-बार नोटिस भेजे जाने के बाद भी फिटनेस नहीं करा रहे हैं. ऐसे में अनफिट वाहन में अगर एक भी बच्चा चेकिंग के दौरान मिल गया तो गाड़ी मालिक के साथ स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई होगी. आरटीओ प्रवर्तन संदीप कुमार पंकज ने बताया कि स्कूली वाहनों का मामला बेहद संवेदनशील है. नोटिसें भेजे जाने के बाद भी कई संस्थान और स्कूली वाहनों के स्वामी मनमानी कर रहे हैं. ऐसी बसें हो या वैन, बच्चों को ले जाती मिलीं तो एफआईआर दर्ज होगी.

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