भारत में नागालैंड के निवासी नहीं देते इनकम टैक्स, सरकार ने ऐसे दी हुई है छूट
कोहिमा। आयकर यानि इनकम टैक्स के रिटर्न भरने का समय जल्द आ रहा है। फॉर्म 16 के साथ तमाम सेविंग डाक्यूमेंट्स इकट्ठा करने की चिंता भी सभी को इसी समय होने लगती है। लेकिन भारत में एक ऐसा राज्य भी है जहां के निवासियों को ये टैक्स नहीं भरना होता। यहां निवासियों को न फॉर्म 16 की चिंता होती और न ही इनकम टैक्स डिक्लेरेशन की। यह राज्य नागालैंड है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नागालैंड में लोगों को टैक्स भरने से छूट मिली हुई है। कानून के तहत टैक्स में छूट पाने वाले अनुसूचित जनजाति के कई समुदाय नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में हैं।
वहीं, असम में नॉर्थ काचर हिल्स और मिल्क हिल्स और मेघालय, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में खासी हिल्स, गैरो हिल्स और जैनतिया हिल्स में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को भी टैक्स नहीं देना पड़ता। इन सभी जगह पर रहने वाले अनुसूचित जनजाति के समुदायों को किसी भी स्रोत से हुई आमदनी पर टैक्स नहीं देना होता। न ही किसी लाभ में और ना ही बांड पर। नागालैंड में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए स्थापित वैधानिक निगमों, निकायों या संघों को कर से छूट धारा 10 (26 बी) के अंतर्गत मिलती है। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए स्थापित वैधानिक निगमों, निकायों या संघों को कर से छूट धारा 10 (26 बी) के अंतर्गत मिलती है। सरकार ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए कई संगठन स्थापित किए हैं।
उनका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के तेज़ी से सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है जिससे आर्थिक जीवन के मुख्यधारा में अपने सदस्यों के क्रमिक एकीकरण को सुनिश्चित किया जा सके। ऐसे संगठन सरकार की गतिविधियों का विस्तार करते हैं। उन्हें मुख्य रूप से संचालन की अधिक स्वतंत्रता देने के उद्देश्य से एक स्वतंत्र स्वायत्त इकाई के रूप में स्थापित किया गया है।
नगालैंड के लोग जबरन वसूली के तहत इन संगठनों को जो पैसा देते हैं, उसे 'टैक्स' भी कहा जाता है। चाहे कारोबारी हों या नौकरी करने वाले, छोटा या बड़ा शख्स- कोई भी इस 'टैक्स' दायरे से बचा नहीं है। यूजी नागालैंड में काम कर रहे छापामार संगठनों के नाम का संक्षिप्त फॉर्म है। इस राज्य के लोगों की कमाई का एक अहम हिस्सा इन संगठनों को भुगतान किया जाता है। पैसा नहीं देने पर हमें अपनी जान गंवाने का खतरा होता है। वह इन संगठनों को 'टैक्स' के तौर पर 30 हजार रुपए सालाना देते हैं।
नागालैंड के लोग जबरन वसूली के तहत इन संगठनों को जो पैसा देते हैं, उसे 'टैक्स' भी कहा जाता है। चाहे कारोबारी हों या नौकरी करने वाले, छोटा या बड़ा शख्स- कोई भी इस 'टैक्स' दायरे से बचा नहीं है। यह रकम हथियार और कारतूस खरीदने के मकसद से जुटाई जाती है। पीएम मोदी ने नागालैंड में चुनाव प्रचार के दौरान इन टैक्स से छूट दिलाने की बात कही थी।