नागा राजनीतिक मुद्दे पर संसदीय समिति ने वार्ता करने वाले पक्षों से की अपील
कोहिमा। नागा राजनीतिक मुद्दे पर संसदीय समिति ने वार्ता करने वाले पक्षों से अपील की है कि वे लगभग सात साल पहले हस्ताक्षरित एक समझौते में परिलक्षित दक्षताओं पर गौर फरमाकर जल्द से जल्द इस उलझे हुए मामले का अंतिम समाधान निकालें। नागालैंड संसदीय कार्य मंत्री और नागा राजनीतिक मुद्दे पर संसदीय समिति के सदस्य सचिव नीबा क्रोनू ने पैनल ने मुद्दे पर बातचीत करने वाले पक्षों से 3 अगस्त, 2015 के फ्रेमवर्क समझौते में परिलक्षित दक्षताओं का उल्लेख करने का आग्रह किया है, जो भारत सरकार और एनएससीएन (आईएम) के बीच हस्ताक्षरित है ताकि एक ऐसे अंतिम समाधान पर पहुंचा जा सके जो सम्मानजनक, स्वीकार्य और समावेशी हो।
संसदीय समिति की बैठक शनिवार को कोहिमा में हुई। समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नागालैंड के अग्रणी सशस्त्र विद्रोही समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) के नेताओं को जल्द से जल्द निष्कर्ष के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया क्योंकि वार्ता 31 अक्टूबर, 2019 को आधिकारिक रूप से समाप्त हो गई है। इस दौरान समिति की बैठक में दोनों पक्षों के बीच चल रहे शांति वार्ता के संबंध में भारत सरकार और नागा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की कार्य समितियों द्वारा की जा रही सकारात्मक पहल का स्वागत किया गया।
बैठक में वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए नागा राजनीतिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की गई और उनका स्वागत किया गया। समिति ने इस दौरान विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की तरफ से शीघ्र समाधान के लिए दिए गए बयानों और टिप्पणियों का स्वागत करने का संकल्प लिया और सभी वर्गों से अपील की कि वे ऐसे बयान देने से बचें जो गलतफहमी और असहमति पैदा करे। उल्लेखनीय है कि संसदीय समिति के प्रस्ताव पर नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उपमुख्यमंत्री यानथुंगो पैटन, यूडीए (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस) के अध्यक्ष टी आर जेलियांग और एनपीएफ (नागा पीपुल्स फ्रंट) विधायक दल के नेता कुझोलुजो नीनु ने हस्ताक्षर किए।