भारत का 23वां राज्य, मिजोरम के बनने की कहानी है बेहद रोचक

भारत का 23वां राज्य

Update: 2022-02-22 12:08 GMT
पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम आज ही के दिन 20 फरवरी 1987 को भारत का 23वां राज्य बना था। इसे एक पर्वतीय प्रदेश भी कहा जाता है। साल 1972 में इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। इससे पूर्व तक यह असम का एक जिला के रूप में जाना जाता था। 1891 में ब्रिटिश अधिकार में जाने के उपरांत कुछ सालों तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय इलाके असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन था।
1898 में दोनों को मिलाकर एक ज़िला बना बनाने का फैसला किया, जिसका नाम पड़ा-लुशाई हिल्स जिला और यह असम के मुख्य आयुक्त के प्रशासन में भी शामिल हो गया। जब साल 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू हुआ तो मिजोरम को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया।
भारत सरकार और मिजो नेशनल फ्रंट के मध्य 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। इस राज्य के पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बंग्लादेश के मध्य स्थित होने की वजह से भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिज़ोरम सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण राज्य हैं। मिजोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है तथा इस इलाके में प्रकृति की विभिन्न छटाएं भी देखने के लिए मिलती हैं। यह राज्य विभिन्न प्रजातियों के प्राणियों तथा वनस्पतियों से संपन्न हैं।
मिजोरम शब्द का स्थानीय मिजो भाषा में अर्थ है, पर्वतनिवासीयों की भूमि। 19वीं शताब्दी में यहां ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल चुका था और इस वक्त तो अधिकांश मिजो लोग ईसाई धर्म को ही पूजते थे। मिजो भाषा की अपनी कोई लिपि का निर्माण नहीं किया था। मिशनरियों ने मिजो भाषा और औपचारिक शिक्षा के लिए रोमन लिपि को ही ज्यादा मानते थे। मिजोरम में शिक्षा की दर में धीरे-धीरे करके तेजी भी देखने के लिए मिलने लगी। वर्तमान में यह 88.8 प्रतिशत है, जोकि पूरे देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। लेकिन मिजोरम शिक्षा के क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर लाने के लिए बहुत कोशिश भी की जा रही है।
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