रिफ्यूजी कार्ड राज्य सरकार द्वारा जारी, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए वैध दस्तावेज़ नहीं
पिछले साल फरवरी में पड़ोसी देश म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद से अब तक 11,798 बच्चे और 10,047 महिलाओं सहित म्यांमार के 30,316 नागरिकों ने मिज़ोरम के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को इसकी जानकारी दी। राज्य के गृह विभाग द्वारा महीने की शुरुआत में इकट्ठा किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि संकटग्रस्त देश छोड़कर मिज़ोरम आने वालों में 14 विधायक भी शामिल हैं।
30,299 लोगों की हो चुकी प्रोफाइलिंग
उन्होंने आगे बताया कि 30,316 लोगों में से 30,299 लोगों की प्रोफाइलिंग पूरी हो चुकी है। साथ ही होल्डर को रिफ्यूजी के रूप में प्रमाणित करने वाले पहचान पत्र 30 हज़ार से ज्यादा लोगों को जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि रिफ्यूजी कार्ड राज्य सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है। इसे केवल मिज़ोरम में पहचान के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए यह वैध दस्तावेज़ नहीं होगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई को बताया कि ''म्यांमार के नागरिकों का लेखा जोखा रखने के लिए पहचान पत्र जारी किए जा रहे हैं। यह उन व्यक्तियों को उनसे दूर रखेगा जो निहित राजनीतिक हितों के लिए उन्हें भारत की नागरिकता देना चाहते हैं।'' प्रत्येक पहचान पत्र में कहा गया है कि वाहक म्यांमार का नागरिक है और मिज़ोरम में रह रहा है।
मिजोरम ने 80 लाख रुपये किए है स्वीकृत
पहचान पत्र में लिखा है, ''यह सिर्फ पहचान के लिए है और ऑफिशियल या किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। साथ ही यह ट्रांसफरेबल नहीं है।'' अधिकारी के मुताबिक, राज्य के विभिन्न हिस्सों में सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों, गांव के अधिकारियों और म्यांमार के नागरिकों द्वारा कम से कम 156 अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिसमें सियाहा जिले में अधिकतम 41 शिविर हैं, इसके बाद लॉंगतलाई में 36 और चम्फाई में 33 शिविर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य ने अब तक 80 लाख रुपये की राहत राशि स्वीकृत की है।