मिजोरम : ग्रामीण और शहरी इलाकों में कम हुआ जन्म दर अंतर, मध्यप्रदेश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) किसी देश या क्षेत्र के समग्र स्वास्थ्य परिदृश्य के कच्चे संकेतक के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है

Update: 2022-06-05 07:06 GMT

जनता से रिश्ता |  बीते कुछ दशकों में शिशु मृत्यु दर में गिरावट देखने को मिली है। बावजूद इसके आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो भारत में हर 36 शिशुओं में से एक की मृत्यु जीवन के पहले वर्ष के भीतर ही हो जाती है।

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) किसी देश या क्षेत्र के समग्र स्वास्थ्य परिदृश्य के कच्चे संकेतक के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। आईएमआर एक निश्चित अवधि में एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के प्रति 1000 जीवित जन्मों पर होने वाली मौतों की संख्या है।
भारत के महापंजीयक द्वारा जारी नए आंकड़ों के मुताबिक, आईएमआर का वर्तमान स्तर (वर्ष 2020 के लिए प्रति हजार जीवित जन्मों पर 28 शिशुओं की मृत्यु) 1971 की तुलना में एक चौथाई से भी कम (प्रति हजार जन्मों पर 129 शिशुओं की मृत्यु) है।
बीते दस वर्षों में आईएमआर में 36 फीसदी की गिरावट
आंकड़ों के मुताबिक, बीते दस वर्षों में आईएमआर में लगभग 36 फीसदी की गिरावट देखी गई है। पिछले दशक में अखिल भारतीय स्तर पर आईएमआर 44 से घटकर 28 हो गया है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 48 से घटकर 31 हो गया है और शहरी क्षेत्रों में यह 29 से घटकर 19 है। जिससे क्रमश: 35 फीसदी और 34 फीसदी की दशकीय गिरावट दिखती है।
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर
हालांकि बुलेटिन में कहा गया है कि 'पिछले दशकों में आईएमआर में गिरावट के बावजूद प्रत्येक 36 शिशुओं में से एक राष्ट्रीय स्तर पर (ग्रामीण-शहरी) अपने जीवन के पहले वर्ष के भीतर ही मर जाते हैं। 2020 में मध्यप्रदेश (43) के लिए अधिकतम आईएमआर और मिजोरम (3) के लिए न्यूनतम दर्ज की गई।
ग्रामीण और शहरी इलाकों में कम हुआ जन्म दर अंतर
अखिल भारतीय स्तर पर जन्म दर पिछले पांच दशकों में गिरावट देखने को मिली है। साल 1971 में जन्म दर 36.9 फीसदी थी जो घटकर 2020 में 19.5 फीसदी हो गई। इन वर्षों में ग्रामीण-शहरी अंतर भी कम हुआ है। हालांकि बीते पांच दशकों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर अधिक बनी हुई है।
बीते एक दशक में जन्म दर में लगभग 11 प्रतिशत की गिरावट (2011 में 21.8 फीसदी से 2020 में 19.5 फीसदी) आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसी तरह की गिरावट 23.3 फीसदी से 21.1 फीसदी (लगभग 9 फीसदी की गिरावट) है और शहरी क्षेत्रो में यह 17.6 फीसदी से घटकर 17.6 फीसदी है।


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