कंगारुओं की तस्करी : इंदौर चिड़ियाघर के खिलाफ कुप्रबंधन के आरोप, जाने पूरा मामला

हालिया घटनाओं की जांच से पता चलता है कि यह खेप एक चिड़ियाघर के लिए थी.

Update: 2022-05-21 05:59 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : इंदौर चिड़ियाघर कई वजहों से सवालों के घेरे में है. 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह चिड़ियाघर, मध्यम चिड़ियाघर के रूप में वर्गीकृत है. मध्य प्रदेश स्थित वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा, "इंदौर चिड़ियाघर के खिलाफ कुप्रबंधन के आरोप हैं. 2019 में, सीजेडए ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघर की मान्यता नियम, 2009 के उल्लंघन के लिए इंदौर चिड़ियाघर के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी किया.पश्चिम बंगाल के दोरास इलाके में दो अप्रैल को चारों तरफ सनसनी थी. हर तरफ कंगारुओं को देखे जाने की चर्चा हो रही थी. इसे लेकर लोगों के बीच कौतुहल था. शुरुआत में, बेलाकोबा वन रेंज की एक टीम ने सिलीगुड़ी शहर के नजदीक गजोलडोबा नहर के पास दो कंगारुओं को घूमते हुए देखा. बाद में एक और कंगारू को नेपाली बस्ती क्षेत्र से बचाया गया. यही नहीं, शहर के बाहरी इलाके में एक कंगारू का शव भी मिला. बचाए गए जानवरों को सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क भेजा गया. इस साल उत्तर बंगाल में दूसरी बार इस तरह कंगारुओं को बचाया गया.

इंदौर में कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय सुर्खियों में हैं क्योंकि तस्करी किए गए कंगारुओं को यहीं लाया जा रहा था. खरीद आदेश से पता चला कि जानवर को मिजोरम के ब्रुनेल एनिमल फार्म से मंगवाया गया था. पहले भी इस फार्म ने विदेशी पक्षियों जैसे शैल तोते को इंदौर के चिड़ियाघर में भेजा था.
पश्चिम बंगाल के दोरास इलाके में दो अप्रैल को चारों तरफ सनसनी थी. हर तरफ कंगारुओं को देखे जाने की चर्चा हो रही थी. इसे लेकर लोगों के बीच कौतुहल था. शुरुआत में, बेलाकोबा वन रेंज की एक टीम ने सिलीगुड़ी शहर के नजदीक गजोलडोबा नहर के पास दो कंगारुओं को घूमते हुए देखा. बाद में एक और कंगारू को नेपाली बस्ती क्षेत्र से बचाया गया. यही नहीं, शहर के बाहरी इलाके में एक कंगारू का शव भी मिला. बचाए गए जानवरों को सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क भेजा गया. इस साल उत्तर बंगाल में दूसरी बार इस तरह कंगारुओं को बचाया गया.
इससे पहले मार्च में, अलीपुरद्वार जिले में पश्चिम बंगाल-असम सीमा के पास कुमारग्राम से एक वयस्क लाल कंगारू को बचाया गया था. उस घटना में हैदराबाद के दो लोगों को इस खेप के साथ पकड़ा गया था. यह पहली बार नहीं है जब अधिकारियों ने देश में कंगारू जब्त किया है. दो साल पहले, असम और मिजोरम की सीमा पर एक छोटे से गांव लैलापुर से कंगारुओं के साथ ही विदेशी प्रजाति के जानवरों को बचाया गया था. हालांकि, उत्तर बंगाल में कंगारुओं को बचाने की हालिया घटनाओं की जांच से पता चलता है कि यह खेप एक चिड़ियाघर के लिए थी.
"हालांकि, जब्त किए गए कई जानवर फार्म में पाले गए हैं. उदाहरण के लिए, यदि भारत में एक कंगारू जब्त किया जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि जानवर ऑस्ट्रेलिया से आया है. दक्षिण पूर्व एशियाई देश के किसी फार्म में इसके पैदा होने की संभावना ज्यादा है. फार्म में पाले गए ये जानवर आनुवंशिक रूप से मिश्रित नस्ल के भी हो सकते हैं, इसलिए उनके मूल देश को उन्हें वापस लेने में दिलचस्पी नहीं हो सकती है, खासकर कोविड-19 के बाद. साथ ही, यदि मूल देश आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं, तो वे वित्तीय वजहों से भी ऐसा करने से बच सकते हैं. तो, उस स्थिति में इन जानवरों को अपना बाकी का जीवन किसी चिड़ियाघर में बिताना होगा."
जिमी बोरा कहते हैं, "विदेशी जानवरों की तस्करी को रोकने के लिए हमें यह जानना होगा कि इनका व्यापार किस जगह से शुरू होता है. वर्तमान में, हम जानते हैं कि इन जानवरों को दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ फार्म में पाला जा रहा है, लेकिन इस व्यापार को रोकने करने के लिए हमें सही जगह तक पहुंचना होगा. साथ ही, कानून को लागू करने वाली एजेंसियों को और ज्यादा चौकन्ना रहना होगा."
साभार- MONGABAY 
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