मेघालय : भारत का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल, के नाम के पीछे है यह दुखद कहानी
नोहकलिकाइ दुनिया का चौथा सबसे ऊंचा झरना है. यह झरना 340 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और प्रकृति के अद्भुत दृश्य को प्रस्तुत करता है.
जनता से रिश्ता | क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे ऊंचा वाटरफॉल कौन-सा है और इसके नाम के पीछे की दुखद कहानी क्या है? अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको भारत के सबसे ऊंचा वाटरफॉल नोहकलिकाइ के बारे में बता रहे हैं जो मेघालयम में स्थित है और देखने में बेहद खूबसूरत लगता है. इस वाटरफॉल को देखने के लिए देश के कोने-कोने से टूरिस्ट आते हैं और यहां की खूबसूरती और प्राकृतिक सम्पदा से रूबरू होते हैं.Also Read - इस बार घूमिये मध्य प्रदेश स्थित खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी, 'सतपुड़ा की रानी' के नाम से भी है फेमस
340 मीटर की ऊंचाई से गिरता है यह वाटरफॉल
नोहकलिकाइ दुनिया का चौथा सबसे ऊंचा झरना है. यह झरना 340 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और प्रकृति के अद्भुत दृश्य को प्रस्तुत करता है. यह झरना मेघालय में चेरापूंजी के पास पूर्वी खासी हिल्स में स्थित है. यह झरना देश का सबसे खूबसूरत और भव्य झरनों में से एक है. यह वाटरफॉल देखने में बेहद आकर्षक है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस सुंदर झरने को मेघालय का गौरव भी कहा जाता है. यह झरना एक विशाल चट्टान से जमीन पर गिरते हुए बेहद अद्भुत दिखता है और इसकी खूबसूरती पर्यटकों के मन को रम लेती है. Also Read - ये हैं भारत के 4 सबसे ऊंचे वाटरफॉल, इस वीकएंड जरूर घूमिये इन जगहों पर
इस झरने के नाम से जुड़ी है यह कहानी
बेहद खूबसूरत नोहकलिकाइ झरने के नाम से एक दुखत कहानी जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि इस जलप्रपात का नाम 'का लिकाई' नाम की महिला की दुखद कहानी को बयां करता है. का लिकाई नाम की महिला ने अपने पति की मौत के बाद एक दूसरे पुरुष से शादी की थी. अपने बच्चे के लालन-पालन के लिए का लिकाई को कुली तक बनना पड़ा. अपनी बेटी की परवरिश में ज्यादातर वक्त देने के कारण वह अपने पति को उस तरह से प्यार नहीं दे पाती थी. जिस वजह से उसके पति के मन में ईष्या का भाव जाग्रत हो गया. वह अपनी ही बेटी से घृणा करने लगा. जब एक महिला काम कर रही थी उसके दूसरे पति ने अपनी बेटी को मार डाला. इतना ही नहीं उसके पति ने अपनी बेटी को मारकर उसका मांस पकाकर अपनी पत्नी को परोस दिया. खाना खाने के बाद महिला अपनी बेटी को देखने के लिए बाहर गई तो उसको सुपारी की टोकरी में बेटी की उंगुलियां मिली. जिसे देखकर वह काफी दुखी हो गई और उसी पहाड़ की चोटी से कूद गई जहां झरना बहता है. इसी वजह से इस झरने का नाम का 'नोह का लिकाई' पड़ा. Also Read - 3900 रुपये में घूमिये रामेश्वरम और कन्याकुमारी, जानिये इस टूर पैकेज के बारे में
आप भी इस गर्मी मे इस झरने को देखने के लिए जा सकते हैं. यहां आप ट्रैकिंग और कैंपिंग कर सकते हैं.
ऐसे पहुंचें यहां?
नोहकलिकाई झरने को देखने के लिए आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग के जरिए जा सकते हैं. यहां का निकटतम हवाई अड्डा शिलांग है. इसी तरह यहां जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है.अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आप चेरापूंजी तक जा सकते हैं जो शिलांग से 53 किमी दूर है. शिलांग से चेरापूंजी के लिए आपको बस मिल जाएगी. चेरापूंजी से आप नोहकलिकाइ झरने के लिए टैक्सी ले सकते हैं.