कोर्ट लॉ एंड ऑर्डर नहीं चलाएगा, इसकी जिम्मेदारी राज्य की चुनी हुई सरकार की होती

Update: 2023-07-11 08:12 GMT

मणिपुर न्यूज: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कोर्ट कानून-व्यवस्था नहीं चला सकता और ऐसा करना चुनी हुई सरकार का काम है। वह हिंसा को रोकने के लिए कानून-व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकता। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को मणिपुर की स्थिति पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। मामले की सुनवाई कर रही डबल बेंच में सीजेआई के साथ जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे. पीठ ने वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वे को जवाब देते हुए यह टिप्पणी की. कुकी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ वकील पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे। मणिपुर में 3 मई को कुकी और मैतेई के बीच शुरू हुई झड़प के बाद से सांप्रदायिक हिंसा में लगभग 150 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा में कई मंत्रियों के घर भी जला दिए गए हैं.

कोर्ट का तनाव बढ़ाने के लिए नहीं

शीर्ष अदालत ने कहा कि मणिपुर में तनाव बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता. अदालत अधिकारियों को स्थिति में अधिक से अधिक सुधार करने का निर्देश दे सकती है और इसके लिए उसे विभिन्न समूहों की मदद और सकारात्मक सुझावों की आवश्यकता है। पीठ ने मणिपुर के विभिन्न समूहों से कहा कि वे स्थिति में सुधार के लिए मंगलवार तक हमें कुछ सकारात्मक सुझाव दें और हम केंद्र और मणिपुर सरकार से इस पर गौर करने को कहेंगे।

कोर्ट ने पुनर्वास, कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी थी

अदालत ने 3 जुलाई को मणिपुर सरकार से सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित राज्य में पुनर्वास, कानून व्यवस्था की स्थिति, हथियारों की बरामदगी और अन्य स्थितियों पर रिपोर्ट मांगी थी।

3 मई से हिंसा जारी है

मणिपुर राज्य में 3 मई से हिंसा जारी है. मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हुई इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. कई हजार लोग बेघर हो गए हैं. आग से सैकड़ों घर जलकर खाक हो गए हैं. राज्य में शांति बहाल करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर उनके सहयोगी राज्य मंत्री नित्यानंद राय, सेना और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डेरा डाले हुए हैं. शांति बहाली की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं.

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