इंफाल | मणिपुर में हिंसा और तनाव के हालात पर रिपोर्टिंग को लेकर मणिपुर सरकार ने 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करवाई है। राज्य की सरकार का कहना है कि संगठन अपनी रिपोर्ट्स के जरिए झूठ फैला रहा है और गलत तथ्य पेश कर रहा है। बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया संगठन को 1978 में स्थापित किया गया था जिसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और मीडिया के मानकों को बढा़ना है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्य राज्य में हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे और इससे तनाव बढ़ सकता था। बता दें कि मणिपुर में बीते तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की मीडिया रिपोर्ट्स को देखने के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक टीम मणिपुर गई थी। इसमें तीन सदस्य शामिल थे। सरकार ने इन तीनों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। सरकार का आरोप है कि यह टीम जो भी प्रस्तुत कर रही है वह झूठा और मनगढ़ंत है।
वहीं एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य सरकार पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि राज्य की सरकार लोकतांत्रिक चुनी हुई सरकार के रूप में अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पाई है। बता दें कि जो सदस्य मणिपुर गए थे उनमें सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण शामिल हैं। सबसे पहले इंफाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इ तीनों के खिलाफ पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई थी।
एफआईआर में कहा गया था कि रिपोर्ट में चुराचांदपुर जिले की एक जलती इमारत की तस्वीर लगाई गई है जिसे कुकी हाउस बता दिया गया है। हालांकि बाद में ईजीआई ने कहा था कि उसने गलती को सुधार लिया है। ईजीआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि म्यांमार से तख्तापलट के बाद भागकर 4000 शरणार्थी मणिपुर में आए और इसके बाद सरकार ने सभी कुकी जनजातियों को अवैध अप्रवासी बता दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की नीतियों की वजह से कुकी समुदाय में असंतुष्टि व्याप्त हो गई।
बता दें कि 3 मई से ही मणिपुर में कुकी और मैतेयी समुदाय के बीच तनाव का माहौल है। राज्य में अब तक कम से कम 170 लोगों की जान जा चुकी है। विवाद आरक्षण को लेकर शुरू हुआ था। मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मैतेयी समुदाय को भी एसटी का दर्जा दिया जाए। इसके बाद कुकी समुदाय प्रदर्शन कर रहा था जहां से हिंसा शुरू हो गई। मणिपुर के हजारों को लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा।