मणिपुर का स्थानीय संगठन : शाह के साथ बैठक में कुकी से शांति वार्ता के लिए प्रोत्साहित किया गया

Update: 2023-08-25 18:05 GMT
मणिपुर: मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक बैठक के दौरान उसके पदाधिकारियों को कुकी समुदाय के साथ शांति वार्ता शुरू करने को प्रोत्साहित किया गया। सीओसीओएमआई इंफाल के नागरिक समाज से जुड़े कई संगठनों का समूह है। संगठन ने कहा कि उसके प्रतिनिधियों ने नयी दिल्ली में शाह से मुलाकात की और इस दौरान जातीय हिंसा से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत हुई। सीओसीओएमआई ने एक बयान में कहा कि शाह के आवास पर बैठक के बाद उसके नेताओं ने ‘‘मंत्री के निर्देशानुसार खुफिया ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों से भी बातचीत की।’’
बयान में कहा गया, ‘‘सीओसीओएमआई को कुकी समुदाय के नेताओं तथा समूहों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि समस्या को हल किया जा सके और शांति बनाई जा सके।’’ शाह के साथ पूर्वोत्तर राज्य में घुसपैठ रोकने के कदम जैसे सीमा पर बाड़बंदी, मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता और यह सुनिश्चित करना कि आवश्यक वस्तुएं लोगों के सभी वर्गों तक पहुंचें, जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘‘ केन्द्रीय गृह मंत्री ने मणिपुर में घुसपैठ के सभी रूपों पर कड़ा रुख अपनाया।प्रवासियों के पंजीकरण के लिए आंखों की पुतली के स्कैन सहित बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।’’ संगठन ने कहा कि मणिपुर में पृथक प्रशासनों की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
मणिपुर में चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी समूह के दस आदिवासी विधायकों ने मेइती और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़पों के मद्देनजर केंद्र से उनके समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन बनाने का आग्रह किया है। विधायकों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात नेता शामिल हैं। संगठन ने कहा, ‘‘ राज्य में आवागमन तथा आवश्यक वस्तुओं का वितरण समुदायों के दोनों पक्षों के सहयोग से ही संभव हो सकेगा। राजमार्गों को सुरक्षित करने के लिए काफिले की आवश्यक तैनाती कुछ दिनों में सुनिश्चित की जाएगी।’’
बयान में कहा गया, ‘‘ गृह मंत्री ने राज्य में शांति की अपील की औरसीओसीओएमआई से इस संदेश को जनता तक पहुंचाने का अनुरोध किया।’’ बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने पर राज्य में तीन मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
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