आखिर क्यों, विभाजित समाज वाले मणिपुर को अलग कुकी राज्य बनाने की कर रहे हैं मांग
इम्फाल, । मणिपुर में करीब एक महीने से जारी हिंसा ने राज्य को जातीय आधार पर तेजी से विभाजित कर दिया है। इन हिंसा की घटनाओं में अब तक करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है और 315 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पहाड़ियों पर रहने वाले कुकी आदिवासियों को लगता है कि अलग राज्य ही एकमात्र समाधान है, जबकि घाटी में प्रभावशाली मेइती, जो अनुसूचित जनजाति श्रेणी का दर्जा मांग रहे हैं, राज्य के किसी भी प्रकार के विभाजन या अलग व्यवस्था के सख्त खिलाफ हैं।
गत 3 मई से जारी जातीय हिंसा के कारण पहाड़ियों और घाटी दोनों में लोगों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।
पहाड़ियों पर रहने वाले गैर-आदिवासी मेइती घाटी में भाग गए हैं और घाटी में रहने वाले आदिवासी कुकियों ने पहाड़ियों की ओर पलायन कर लिया है, जो स्पष्ट रूप से दो समुदायों और विभिन्न भौगोलिक स्थानों के बीच विश्वास की कमी को दशार्ता है, जिससे मतभेद और बढ़ गया है।
पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के बीच विभाजन या विकास की असमानता मणिपुर में हमेशा राजनीतिक बहस का मुद्दा रही है।
चौतरफा सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए 10 संवैधानिक निकाय हैं - आदिवासी स्वायत्त जिला परिषदें जो चार पूर्वोत्तर राज्यों (असम, मेघालय और मिजोरम में तीन-तीन और त्रिपुरा में एक) में मौजूद हैं, लेकिन मणिपुर में आदिवासियों की अच्छी उपस्थिति के बावजूद ऐसे कोई शक्तिशाली संवैधानिक स्वायत्त निकाय नहीं हैं।
जातीय हिंसा के बीच चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने भय, संकट और चिंता व्यक्त करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए सुरक्षित स्थान की मांग की है।
इस साल 6 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उद्घाटन किए गए नए स्थापित मेडिकल कॉलेज में छात्रों का पहला बैच पहले वर्ष के एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहा है।
कुल 100 छात्रों में से लगभग 60 छात्र मणिपुर के घाटी क्षेत्रों से हैं।
जातीय हिंसा के बीच कुकी आदिवासियों के 10 विधायक (सात सत्तारूढ़ भाजपा सदस्यों सहित) ने मणिपुर में आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य के बराबर एक अलग प्रशासन की मांग की।
कुकी विधायकों ने आरोप लगाया कि हिंसा बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा की गई थी और राज्य की भाजपा सरकार ने गुप्त रूप से उसे समर्थन दिया। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र को लिखे एक पत्र में कहा कि पूरी निराशा और हताशा में, पार्टी के 10 कुकी विधायकों और समुदाय के अन्य नेताओं ने आदिवासियों के लिए एक अलग राजनीतिक प्रशासन (एक अलग राज्य के बराबर) की मांग की है।