स्कूल में फीस नहीं जमा करने पर छात्रों को लैब में घंटों बैठाया, प्रिंसिपल समेत 2 शिक्षकों के खिलाफ केस दर्ज
मुंबई के कांदिवली में कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल (Kapol Vidyanidhi International) द्वारा बच्चों के बकाया फीस नहीं जमा करने पर उन्हें घंटों तक लैब में बैठाने का मामला सामने आया है.
मुंबई के कांदिवली में कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल (Kapol Vidyanidhi International) द्वारा बच्चों के बकाया फीस नहीं जमा करने पर उन्हें घंटों तक लैब में बैठाने का मामला सामने आया है. स्कूल के एक छात्रा पिता के शिकायत के बाद पुलिस ने प्रिंसिपल के साथ ही दो शिक्षकों के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस स्टेशन में शिकायत करने वाले छात्रा के पिता के अनुसार उनकी 14 साल की बेटी कक्षा नवीं में पढ़ती है. वह नए शिक्षण सत्र के पहले दिन 1 अप्रैल को सुबह 7.30 बजे स्कूल गई थी. इस पर उसके कक्षा अध्यापक ने उसे व एक अन्य छात्रा को एचओडी से मिलने को कहा. फीस जाम नहीं होने पर उसे लैब में बैठा दिया गया.
छात्र के पिता के अनुसार एचओडी ने उनके बेटी के साथ ही दूसरी एक छात्रा को फिजिक्स लैब में बैठने का निर्देश दिया. इसके बाद कक्षा नवीं व दसवीं के कुछ अन्य छात्रों को भी लैब में भेजे गए. उनमें से कुछेक को तो परीक्षा में बैठने दिया गया, जबकि 10-15 को वहीं बैठने को कहा गया. इसके बाद प्राचार्य लैब में आए और उन्होंने विद्यार्थियों से बात की. इसके बाद दोपहर करीब 1 बजे तक इन बच्चों को लैब में ही बैठाकर रखा गया.
छात्रों के साथ इस हरकत को लेकर छात्र के पिता ने कहा कि स्कूल का यह भेदभावपूर्ण व्यवहार है और इससे उनकी बच्ची को मानसिक प्रताड़ना हुई. वहीं छात्र के पिता के शिकायत के बाद कांदिवली पुलिस ने स्कूल के प्राचार्य व दो शिक्षकों के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2015 के तहत केस दर्ज करने के बाद मामले में आगे की कार्रवाई में लग गई है. दरअसल शिकायतकर्ता पालक व अन्य अभिभावकों ने कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020-21 व 2021-22 में जब स्कूल बंद थे, उस दौरान फीस वसूली को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में पिछले माह केस दायर किया है। इससे स्कूल प्रबंधन खफा है.
वहीं इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने फीस का भुगतान न करने पर छात्रों के साथ भेदभाव की निंदा की है. मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि छात्रों के साथ सख्ती बरतने वाले शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.