राज ठाकरे को लगा झटका, कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट
महाराष्ट्र के बीड की परली जिला अदालत ने 2008 के एक मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है
महाराष्ट्र के बीड की परली जिला अदालत ने 2008 के एक मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. ये फैसला ऐसे समय में आया है जब राज ठाकरे (Raj Thackeray) द्वारा लाउडस्पीकर विवाद को लेकर महराष्ट्र समेत पूरे देश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने बुधवार को मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं उतारे जाने पर एमएनएस कार्यकर्ताओं को मस्जिदों के सामने दुगुनी आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्वान किया था. उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं पर पुलिस नोटिस पर नाखुशी जताई और कहा कि कानून का पालन करने वालों पर कार्रवाई करने का क्या मतलब है?
उन्होंने कहा कि सुबह से ही हमारे कार्यकर्ताओं की धडपकड़ शुरू है. क्यों शुरू? जो कानून का सम्मान करते हैं उन्हें आप नोटिस देंगे, पकड़ेंगे और जो कानून का उल्लंघन करेंगे उन्हें छूट देंगे? राज ठाकरे ने कहा कि ये सब करने से एमएनएस कार्यकर्ता हम दबाव में आने वाले नहीं है लाउडस्पीकर जब तक बंद नहीं किए जाते, आंदोलन चलता रहेगा.
2008 का है केस
लाउडस्पीकर पर पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र में नब्बे फीसदी मस्जिदों में आज सुबह लाउडस्पीकरों पर अजान नहीं हुई. हमारे कार्यकर्ता तैयार थे. मस्जिदों के मौलवियों और प्रबंधकों ने हमारे मुद्दे को समझा. मुंबई में 1440 मस्जिद हैं, उनमें से 135 मस्जिदों में सुबह पांच बजे से पहले लाउडस्पीकर पर अजान हुई. कल मुझे मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त विश्वास नांगरे पाटील ने कहा कि मस्जिदों को आदेश दिया गया है कि सुबह लाउडस्पीकर नहीं बजाना है. ये जो मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान हुई, मुंबई पुलिस ने इन पर क्या कार्रवाई की?
365 दिन की इजाजत किसने दी?
ठाकरे ने आगे कहा कि सारी कार्रवाइयां हमारे शांति से आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं पर ही की जाएगी क्या? हमें जब अपने धार्मिक त्योहारों पर लाउडस्पीकर बजाना होता है तो रोजाना आधार पर अनुमति लेनी होती है. उन्हें 365 दिनों तक के लिए इजाजत किस आधार पर मिलती है? मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारने का मुद्दा एक दिन का नहीं है. जब तक अमल नहीं होगा आंदोलन चलता रहेगा.