ग्वालियर। बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में यात्री की तबियत बिगडऩे के बाद वह 5 घंटे तक स्लीपर कोच में बेहोशी की हालत में पड़ा रहा। यात्री के कोच में बेहोश होने का पता उस समय चला जब रेल यार्ड पिट में रेल कोचों की सफाई करने रेलवे का सीएएण्डब्ल्यू अमला यार्ड पिट पहुंचा। डिप्टी एसएस वाणिज्य से मिले मेमो के आधार पर मौके पर पहुंचे जीआरपी ने तत्काल एंबुलेंस की मदद से बेहोशी की हालत में मिले यात्री को तुरंत जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी अस्पताल में भर्ती कराया।
जीआरपी प्रधान आरक्षक विजया सिंह ने बताया कि बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर वाराणसी से चलकर ग्वालियर जा पहुंची थी। इसके बाद बुंदेलखण्ड के रैक को रेल यार्ड में जाकर खड़ा कर दिया गया था। लेकिन प्लेटफार्म से रेल यार्ड ले जाते समय कोचों की गहन पड़ताल करने वाले रेल कर्मचारियों को स्लीपर कोच में बेहोश पड़ा यात्री नजर ही नहीं आया।
सीएण्डडब्ल्यू विभाग के सफाई कर्मियों ने बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस के एस-4 कोच को सफााई करने के लिए खोला तो बोगी के अंदर एक यात्री बेहोश पड़ा मिलने से कर्मचारियों में हडक़ंप मच गया। तत्काल इस मामले की जानकारी कर्मियों ने डिप्टी एसएस वाणिज्य को दी। मेमो जारी होने के बाद भी आरपीएफ के जवान नहीं बल्कि एनजी जीआरपी में पदस्थ प्रधान आरक्षक विजय सिंह अन्य साथी जवानों के साथ रेल पिट पहुंचे और बेहोश मिले यात्री को तत्काल उपचार के लिए एंबुंलेंस की मदद से सरकारी अस्पताल जेएएच के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया।
भतीजा लेने पहुंचा
जीआरपी को जो दस्तावेज मिले, उसमें यात्री की पहचान बंश गोपाल मांझी पुत्र राय विश्वेश्वर मांझी निवासी रीवा के रूप में हुई। जीआरपी ने यात्री के परिजनों को मामले की जानकारी दी। जिसके बाद शनिवार को यात्री का भतीजा संतोष अस्पताल पहुंचा व यात्री वंश को लेकर इलाहाबाद के लिए रवाना हुआ। भतीजे ने बताया कि यात्री को पैरालाइसिस अटैक आया था, जिसके चलते वह बेहोश हो गए थे।