डिजिटल मुद्रा से डरने की जरूरत नहींः दास

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Update: 2022-12-08 09:48 GMT
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि हाल में पेश केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया (सीबीडीसी) नकद मुद्रा की तरह है और इसमें लेन-देन के बारे में बैंकों के पास कोई जानकारी नहीं रहेगी, लिहाजा निजता को लेकर लोगों के मन में डर बैठने की कोई जरूरत नहीं है। दास ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीबीडीसी के थोक उपयोग पर आरबीआई का पायलट परीक्षण बहुत संतोषजनक रहा है। इसके अलावा इस डिजिटल मुद्रा के खुदरा उपयोग के लिए हाल ही में किए गए पायलट परीक्षण से मिले सबक को भी आत्मसात करने की कोशिश की जाएगी। आरबीआई ने सीबीडीसी के तौर पर ई-रुपये का पायलट परीक्षण किया है। नवंबर की शुरुआत में थोक इस्तेमाल का प्रायोगिक परीक्षण कुछ बैंकों के साथ किया था। वहीं इसके खुदरा इस्तेमाल का प्रायोगिक परीक्षण दिसंबर की शुरुआत में किया गया है। सीबीडीसी का इस्तेमाल करने वालों के जांच एजेंसियों की पकड़ में आने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, "आप किसी को नकदी मुद्रा में भुगतान करते हैं तो इसमें भी कुछ वैसा ही है।
डिजिटल मुद्रा से भी लेनदेन करने के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह जानकारी बैंक के पास नहीं रहती है। बैंक को भी पता नहीं होता है। उन्होंने कहा, "यह मेरे मोबाइल फोन से किसी दूसरे के मोबाइल फोन पर जाता है। ऐसे में हमें इसे लेकर मन में किसी तरह का संदेह नहीं बैठाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि नकद भुगतान पर आयकर विभाग की तरफ से लगाई गई कुछ सीमाएं सीबीडीसी के मामले में भी लागू रहेंगी। उन्होंने कहा, "आयकर विभाग के नकद भुगतान संबंधी प्रावधान सीबीडीसी के मामले में भी लागू होंगे क्योंकि ये दोनों ही मुद्राएं हैं।" दरअसल रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव समेत कई विशेषज्ञों ने डिजिटल मुद्रा के संबंध में निजता को लेकर आशंकाएं जताई हैं। उनका कहना है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले लोगों की जानकारी बैंक के पास दर्ज हो जाएगी जो उसकी निजता का उल्लंघन होगा। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने एक हद तक इस आशंका को स्वीकार करने के साथ ही कहा कि केंद्रीय बैंक सीबीडीसी को भी कागजी मुद्रा की तरह अनाम बनाने के तरीके तलाशने में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आरबीआई एक प्रौद्योगिकी एवं कानूनी समाधान निकालने की कोशिश में लगा हुआ है।
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