मुंबई। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने विधानसभा में कहा कि स्थायी रूप से बिजली कनेक्शन (power connection) काटे जाने पर यदि बिजली ग्राहक मूल बकाया रकम में से 110 प्रतिशत राशि का भुगतान कर देता है तो उसका बाकी का बिल माफ कर उसे नया कनेक्शन प्रदान करने का प्रावधान शील, मुंब्रा, कलवा वितरण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति करने वाली फ्रेंचाइजी कंपनी टोरेंट पॉवर ने किया है। इसी प्रकार का प्रावधान भिवंडी में लागू करने को लेकर सरकार सकारात्मक है।
विधानसभा में सपा विधायक रईस शेख और अबू आसिम आजमी (Abu Asim Azmi) की लक्ष्यभेदी सूचना पर हुई चर्चा के जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फ्रेंचाइजी कंपनी के खिलाफ शिकायत की सुनवाई तीसरे पक्ष से कराने के लिए एक सिस्टम तैयार करने का निर्देश दिया गया है। भिवंडी में समस्याओं के समाधान के लिए महावितरण के नोडल अधिकारी हर बुधवार और गुरुवार को उपस्थित रहेंगे। इसी तरह की व्यवस्था मुंब्रा में भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में महावितरण के जिन ग्राहकों का स्थायी रूप से कनेक्शन काटा जा चुका है और वे बकाया की मूल रकम एकमुश्त भरते हैं तो उनकी बकाया राशि पर 50 प्रतिशत ब्याज माफ करने की योजना शुरू है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिन विभागों में पॉवर लीकेज की समस्या अधिक है और बिजली बिल वसूली की दर कम है और वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, वहां एक निश्चित अवधि के लिए फ्रेंचाइजी आधार पर निजी कंपनी को बिजली वितरण अधिकार देने का निर्णय लिया गया है। इस अनुसार महावितरण ने भिवंडी मंडल के तहत बिजली वितरण और देखभाल की व्यवस्था 26 जनवरी 2007 से टोरेंट पावर लिमिटेड को दी है। वितरण क्षेत्र में ऊर्जा हानि 41.85 प्रतिशत से घटकर 10.61 प्रतिशत पर आ गई है। वसूली क्षमता 68 प्रतिशत से बढ़कर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बुनियादी ढांचे पर 1016 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। किसी सरकारी कंपनी की किसी स्थान पर निवेश करने की क्षमता सीमित है। उन्होंने कहा कि फ्रेंचाइजी देने से न सिर्फ निवेश होता है, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार होता है।
उन्होंने कहा कि भिवंडी में पावरलूम और इंडस्ट्री है। वहां बड़े पैमाने पर सब्सिडी दी जाती है। 20 किलोवॉट या 27 एचपी क्षमता की कम यूनिट पर 3.77 रुपए प्रति यूनिट और इससे अधिक क्षमता वाली यूनिट को 3.40 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। वसूली टोरेंट के माध्यम से होती है, लेकिन सब्सिडी राज्य सरकार के माध्यम से दी जाती है। फड़नवीस ने चर्चा के दौरान बताया कि बिजली दरों के संबंध में राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है, लेकिन एमईआरसी सभी मामलों की जांच करने के बाद निर्णय लेती है।