मुंबई क्राइम ब्रांच ने पीड़ित से 5.7 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में केंद्र सरकार के अधिकारी के बिजनेस पार्टनर को किया गिरफ्तार
मुंबई
प्लास्टिक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के क्षेत्रीय निदेशक आशुतोष कुमार सहाय के पार्टनर मनोज पटेल को मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। आशुतोष कुमार सहाय, उनकी पत्नी मोनिका सहाय, आशुतोष की कंपनी के पार्टनर मनोज पटेल और मैनेजर संजय पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिसमें से मनोज पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
प्रतिरूपण और छल का आरोप
अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा कि शिकायतकर्ता राजस्थान के व्यवसायी दाधीच ने पुलिस को दिए अपने बयान में आरोप लगाया कि सहाय ने खुद को एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के रूप में पेश किया। सहाय ने दावा किया कि सरकारी विभागों में उनका अच्छा प्रभाव है और इसके कारण उनकी कंपनी को विभिन्न एसआरए/म्हाडा परियोजनाओं और भूमि विकास परियोजनाओं पर काम मिलता है।
सहाय ने दाधीच को बताया कि उसके पास कांजुरमार्ग-भांडुप क्षेत्र में जमीन है और उस जमीन के स्वामित्व दस्तावेज, मूल्यांकन प्रमाण पत्र और उपक्रम दिखाकर उसका विश्वास जीत लिया और दाधीच को अपनी परियोजनाओं में पैसा निवेश करने के लिए कहा।
दाधीच ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा कि सहाय ने दावा किया था कि जो कोई भी उनकी परियोजनाओं में पैसा लगाएगा, वह एक साल में दोगुना हो जाएगा।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सहाय ने 1 जून, 2017 से 20 जनवरी, 2023 के बीच शिकायतकर्ता से 5.77 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी। सहाय पर पहले भी दिल्ली की जनकपुरी पुलिस और सीबीआई (एसीबी) दिल्ली द्वारा इसी तरह की धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के मामले में मामला दर्ज किया गया था।
पिछली कानूनी परेशानियाँ
शिकायतकर्ता ने इस मामले में वर्सोवा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसकी जांच मुंबई क्राइम ब्रांच कर रही है. मुंबई क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान हमें पता चला कि आशुतोष कुमार सहाय जो एक सरकारी अधिकारी हैं और खुद को आईएएस अधिकारी बताते हैं. उन्होंने शिकायतकर्ता को दिखाया कि कांजुरमार्ग-भांडुप क्षेत्र में उनके नाम पर एक जमीन है और वहां एक परियोजना शुरू होने वाली है।
मामले में एफआईआर दर्ज होने से पहले ही सहाय ने सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बाद सहाय ने अंतरिम राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
पुलिस ने सहाय और तीन अन्य पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420, 465, 467, 468, 471, 506 और 34 और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हित संरक्षण (एमपीआईडी) अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया है।