MSEDCL के चीनी मिलों को अजीबोगरीब प्रस्ताव देने से बढ़ी किसानों की चिंता, पढ़ें क्या है पूरा मामला
अजीबोगरीब प्रस्ताव
महाराष्ट्र की चीनी मिलें बिजली वितरण कंपनी की तरफ से आए एक अजीबोगरीब प्रस्ताव से स्तब्ध हैं. महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) ने चीनी मिलों से कहा है कि गन्ना किसानों से बिजली बिल बकाये की वसूली करें. इसके बदले में चीनी मिलों को 10 प्रतिशत का रिवॉर्ड देने का भी वादा किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुगर कमिश्नर शेखर गायकवाड और एमएसईडीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हाल ही में एक ऑनलाइन बैठक के दौरान मिल मालिकों से कहा गया था कि गन्ना किसानों से वसूली गई राशि से मिलर्स को 10 प्रतिशत का रिवॉर्ड दिया जाएगा. इस बैठक में सोलापुर, पुणे, कोल्हापुर, सतारा और सांगली की चीनी मिलों के प्रबंध निदेशकों और महाप्रबंधकों ने भाग लिया था. इन जिलों में 12 लाख किसानों पर लगभग 10,000 करोड़ रुपए का बकाया है.
बैठक में यह भी बताया गया कि धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए हैं. संपन्न किसानों ने बिजली के कनेक्शन और अन्य सुविधाओं का का लाभ लेने के लिए छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के नाम का इस्तेमाल किया है.
प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है चीनी मिलें
इस योजना के तहत, जो मिलें गन्ना किसानों को उनके बकाया भुगतान के लिए राजी कर सकती हैं, उन्हें वसूल की गई राशि का 10 प्रतिशत मिलेगा. हालांकि चीनी मिल मालिकों ने इस योजना को लेकर आपत्ति जताई है. बैठक में भाग लेने वाले सोलापुर की एक सहकारी चीनी मिल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि उनके लिए यह संभव नहीं है कि वे किसानों से खरीदे गए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) से किसी भी राशि की कटौती करें.
उन्होंने कहा कि हमने उनसे स्पष्ट करने को कहा है कि हम किस कानून के तहत ऐसा कर सकते हैं. किसी भी कटौती के लिए हमें किसानों की पूर्व अनुमति लेनी होगी और इतने कम समय में यह संभव नहीं है. MSEDCL के अधिकारियों ने कहा कि यह योजना पूरी तरह से स्वैच्छिक है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मिलें पहले ही किसानों के बिलों से फसल लोन काट चुकी हैं.
किसानों की बढ़ी चिंता
वहीं किसानों ने इस तरह के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया है. सांगली जिले के वालवा तालुका के गन्ना उत्पादक अंकुश चोरमुले ने कहा कि ज्यादातर मिलों ने किश्तों में मूल एफआरपी का भुगतान करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि अगर मिलें बिजली बिल की बकाया राशि में कटौती करना शुरू कर देती हैं, तो हमें शायद ही कुछ हाथ में मिलेगा. चोरमुले ने यह भी कहा कि मिलों को उनकी सहमति के बिना किसानों के बिलों से कोई राशि नहीं काटनी चाहिए.