गौरतलब है कि शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी पहुंचे विधायकों में औरंगाबाद पश्चिम के विधायक संजय सिरसाठ शामिल हैं। बुधवार को विधायक सिरसाठ ने सीएम ठाकरे को लिखा पत्र गुरुवार की सुबह मीडिया को जारी किया। उस पत्र में उन्होंने बताया कि लंबे अरसे के बाद वर्षा बंगले के दरवाजे बुधवार की शाम आम जनता के लिए खोले गए। बंगले पर जनता की भीड़ देखकर खुशी हुई, लेकिन गत ढाई साल से हम पार्टी के विधायक होने के बावजूद हमारे लिए वर्षा के दरवाजे बंद थे।
घंटों वर्षा बंगले के गेट पर करना पड़ता था इंतजार
विधायक सिरसाठ ने सीएम ठाकरे को लिखे पत्र में बताया कि हमारे निर्वाचन क्षेत्र के कामों, निजी परेशानियों के लिए हमने जब भी आपसे मिलने का प्रयास किया तब आपके निकट के राज्यसभा और विधान परिषद के लिए चूने गए चमचे कई विनंती के बाद हमें वर्षा बंगले पर आपसे मिलने का न्यौता भेजते थे। उसके बाद हम घंटों बंगले के गेट पर खड़े रहते थे। चमचों को कई बार फोन करने के बाद यह चमचे फोन रिसीव नहीं करते थे। आखिरकार, हम तंग आकर निकल जाते थे। सिरसाठ ने सीएम ठाकरे से सवाल करते हुए कहा कि तीन से चार लाख मतदाताओं से चूने गए विधायकों के साथ इस तरह अभ्रद व्यवहार क्यों? । उन्होंने सीएम ठाकरे को आगाह करते हुए बताया कि हम यह सब गत ढाई साल से सह रहे थे।
एकनाथ शिंदे ने हमारी परेशानियों को हल किया
सिरसाठ ने सीएम को लिखे पत्र में बताया कि आपके चमचे आपसे हमें मिलने नहीं देते थे। तब हमारी समस्याओं का निराकरण एकनाथ शिंदे करते थे। निर्वाचन क्षेत्र की विकट समस्याएं, निर्वाचन क्षेत्र का निधि, अधिकारी वर्ग, कांग्रेस-एनसीपी से शिवसेना विधायकों का हो रहा अपमान इन सबका हल एकनाथ शिंदे ही निकालते थे। इसलिए सभी विधायकों के न्याय हक और सभी विधायकों के आग्रह के खातिर एकनाथ शिंदे को हमने यह निर्णय लेने के लिए बाध्य किया।
आदित्य ठाकरे अयोध्या पहुंचे, तब हमें जाने से क्यों रोका गया
सिरसाठ ने पत्र में बताया कि हिंदुत्व, अयोध्या, राम मंदिर यह मुद्दे शिवसेना के है? फिर हाल ही में जब आदित्य ठाकरे अयोध्या गए थे, तब हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका गया। आपने खुद फोन कर कई विधायकों को अयोध्या जाने से रोका। मुंबई हवाई अड्डे से अयोध्या निकले मैं और मेरी कई साथी विधायकों का लगेज चेक इन हुआ था। हम हवाई जहाज में सवार होनेवाले थे, तब आपने एकनाथ शिंदे को फोन कर कहा कि विधायकों को अयोध्या न जाने दिया जाए। हम हवाई अड्डे से अपने घर लौट गए। राज्यसभा चुनाव के समय शिवसेना का एक भी वोट नहीं फूटा, फिर विधान परिषद चुनाव के समय आपने अविश्वास क्यों दिखाया? और हमें रामल्ला का दर्शन करने से क्यों रोका? यह सवाल भी सिरसाठ ने सीएम ठाकरे को लिखे पत्र में उपस्थित किया।
मिलने का नहीं मिलता समय
अंत में सिरसाठ ने बताया कि जब हमें वर्षा बंगले पर आपसे मिलने का समय नहीं दिया जाता था, ऐसे समय में कांग्रेस और एनसीपी के जनप्रतिनिधि बड़ी आसानी से आपसे नियमित मिलते थे। उनके निर्वाचन क्षेत्र के काम भी होते थे। निधि मिलने का पत्र भी वे हमें दिखाकर खुशियां मनाते थे। भूमिपुजन और उद्घाटन करते थे। तब हमारे निर्वाचन क्षेत्र के लोग हमसे सवाल करते थे, आपका मुख्यमंत्री होने के बावजूद आपको निधि क्यों नहीं मिल पाता?। संकट के समय में एकनाथ शिंदे ने हमें हमेशा काफी साथ दिया। इसलिए हमने उनका दामन थामा है। सिरसाठ ने कहा कि आपका बुधवार की शाम का भाषण काफी भावनात्मक था, परंतु, उसमें हमारे मूल प्रश्नों का जवाब नहीं मिला है। हमारी भावनाएं आप तक पहुंचाने के लिए यह पत्र मैं लिख रहा हूं।