महाराष्ट्र: मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने वापस ली भूख हड़ताल

Update: 2023-09-14 10:11 GMT
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से मिलने के लिए गुरुवार को जालना पहुंचे। इसके बाद उन्होंने जरांगे को जूस पिलाकर उनकी भूख हड़ताल तुड़वाई। एक दिन पहले ही शिंदे ने दावा किया था कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
 मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर जरांगे 17 दिन से भूख हड़ताल पर थे। शिंदे सुबह अपने कुछ मंत्रियों के साथ जालना जिले के अंतरवाली सारती गांव पहुंचे और जरांगे से मुलाकात की। अंतरवाली सारती गांव में जरांगे भूख हड़ताल पर बैठे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिंदे ने कहा, “मनोज जरांगे की लड़ाई किसी निजी मांग के लिए नहीं है, और यही वजह है कि इसे समुदाय का इतना अधिक समर्थन मिला। सरकार ने पहले आरक्षण प्रदान किया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उसे रद्द कर दिया था।”
गौरतलब है कि जरांगे की भूख हड़ताल 29 अगस्त को जालना स्थित अंतरवाली सरती गांव में शुरू हुई थी। उन्होंने कहा था कि वह तब तक धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे, जब तक राज्य सरकार कुनबी जाति के लिए प्रमाण पत्र जारी नहीं कर देती है। भूख हड़ताल पर बैठे जारांगे ने कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार को एक महीने का समय दे रहे हैं। ताकि, राज्य द्वारा नियुक्त समिति मराठा आरक्षण पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकें।
इसके बाद बुधवार को उन्होंने कहा था कि वह अपनी भूख हड़ताल वापस ले लेंगे, लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे को उनसे मिलने आना पड़ेगा। बता दें कि राज्य सरकार ने कुनबी (अब ओबीसी का हिस्सा) कहे जाने वाले मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया है। 1960 से पहले मराठा समाज को कुनबी समाज का प्रमाणपत्र दिया जाता था। लेकिन संयुक्त महाराष्ट्र का गठन होने के बाद यह प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया है।
Tags:    

Similar News

-->