महाराष्ट्र : इस्तीफा नहीं लेता तो जेल में होते छगन भुजबल

Update: 2023-08-30 17:13 GMT
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों बयानबाजी का दौर तेज है। हाल ही में एनसीपी में हुए दो-फाड़ के बाद से वहां सियासी माहौल गरमाया हुआ है। एक बार फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल की टिप्पणी पर पलटवार किया है। शरद पवार ने परोक्ष रूप से भुजबल पर हमलावर होते हुए कहा कि अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाता तो उन्हें तेलगी केस में गिरफ्तार कर लिया गया होता।
एक सभा को संबोधित करते हुए एनसीपी अजित गुट के नेता छगन भुजबल सोमवार को कहा कि मैंने तेलगी के खिलाफ कार्रवाई की थी, फिर भी शरद पवार ने तेलगी कांड में मुझ से इस्तीफा लिखवा लिया था। शरद पवार ने छगन भुजबल के इन्हीं आरोपों पर पलटवार करते हुए बताया कि आखिर उन्होंने उनका इस्तीफा क्यों लिया।
भुजबल तेलगी घोटाले में जांच के घेरे में थे। ऐसा अनुमान था कि इस केस तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को 32,000 करोड़ रुपये का झटका लगा था। हालांकि, उन्हें तत्कालीन पीडब्लूडी मंत्री के रूप में महाराष्ट्र सदन मामले में कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए मार्च 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अब्दुल करीम तेलगी देश में अपनी तरह के पहले करोड़ों रुपये के फर्जी स्टांप पेपर घोटाले का मास्टरमाइंड था। तेलगी को 1993 में एक मामूली जालसाजी के मामले में जेल में डाल दिया गया था। सालों बाद, उन्हें सैकड़ों करोड़ रुपये के फर्जी स्टांप पेपर मामले की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था और 2001 में उनकी गिरफ्तारी के साथ इसका खुलासा हुआ था।
1993 और 2001 के बीच स्टांप पेपर घोटाले में, तेलगी ने नासिक में सरकारी सुरक्षा प्रेस में अधिकारियों को नकली स्टांप पेपर प्रिंट करने, सरकारी नीलामी में मशीनरी खरीदी और भारी छूट पर नकली स्टांप पेपर बेचने के लिए नियुक्त किया। जांच से पता चला कि उसके राजनेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ संबंध थे। तेलगी के खिलाफ 11 राज्यों में करीब 40 मामले दर्ज थे। इस केस के तहत तेलगी को 30 साल की सजा सुनाई गई, सजा के दौरान अक्टूबर 2017 में कर्नाटक की जेल में उसकी मृत्यु हो गई।
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